बिहार पुलिस के अपर पुलिस महानिदेशक (सीआईडी) पारसनाथ ने हाल ही में मुंगेर पुलिस लाइन का दौरा किया। उनके आगमन पर पुलिस जवानों द्वारा पारंपरिक रूप से गार्ड ऑफ ऑनर प्रस्तुत किया गया। यह सम्मान सूबे के उच्च अधिकारियों के प्रति आदर और निष्ठा का प्रतीक होता है।
उच्चाधिकारियों के साथ निरीक्षण
गार्ड ऑफ ऑनर के बाद एडीजी पारसनाथ ने जिले के पुलिस अधीक्षक (एसपी) और डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल (डीआईजी) के साथ पुलिस लाइन परिसर का विस्तार से निरीक्षण किया। सबसे पहले उन्होंने हथियारों के रख-रखाव वाले स्थान का जायजा लिया, जहां यह सुनिश्चित किया गया कि हथियार सुरक्षित, सुव्यवस्थित और कार्यशील अवस्था में हों। उन्होंने हथियारों के रिकॉर्ड, स्टोरेज पद्धति और साफ-सफाई के स्तर की भी जांच की।
पुलिसकर्मियों की सुविधाओं का अवलोकन
इसके पश्चात उन्होंने पुलिसकर्मियों के आवासीय परिसर, शौचालय, कैंटीन, पेयजल और अन्य मूलभूत सुविधाओं का गहन अवलोकन किया। एडीजी ने विशेष रूप से कैंटीन की स्वच्छता, भोजन की गुणवत्ता और समयबद्ध आपूर्ति की जानकारी ली। उन्होंने यह भी कहा कि पुलिसकर्मियों को बेहतर सुविधाएं देना हमारा दायित्व है, ताकि वे मानसिक और शारीरिक रूप से सक्षम रह सकें।
चालू निर्माण कार्यों की समीक्षा
पुलिस लाइन परिसर में चल रहे विभिन्न निर्माण और मरम्मत कार्यों की भी उन्होंने समीक्षा की। भवनों के रखरखाव, रंग-रोगन, मरम्मत की स्थिति और कार्य की प्रगति पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि कार्य समयसीमा के भीतर गुणवत्तापूर्ण ढंग से पूर्ण हो।
प्रेस वार्ता में दायित्वों की जानकारी
निरीक्षण के उपरांत एडीजी पारसनाथ ने पत्रकारों से बातचीत की और अपनी यात्रा के उद्देश्यों को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा, “हमें जो जिम्मेदारी दी गई है, उसके अंतर्गत पूरे जिले का दौरा करना और विभिन्न कार्यों का मूल्यांकन करना है। यह दौरा उसी श्रृंखला का हिस्सा है।” उन्होंने बताया कि उन्हें एक प्रभाग सौंपा गया है, और उसी के अंतर्गत कार्यों की निगरानी की जा रही है।
20 बिंदुओं पर आधारित निरीक्षण व्यवस्था
एडीजी पारसनाथ ने कहा कि पुलिस व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने हेतु 20 विशिष्ट बिंदु निर्धारित किए गए हैं। इन बिंदुओं में पुलिस प्रशासन की दक्षता, संसाधनों की उपलब्धता, तकनीकी उपकरणों का उपयोग, कर्मचारियों की संतुष्टि, तथा केस फाइलिंग प्रक्रिया जैसी महत्वपूर्ण बातें शामिल हैं। उन्होंने कहा कि यह देखा जा रहा है कि क्या इन बिंदुओं के अनुरूप सही ढंग से कार्य हो रहा है या नहीं।
डिजिटलीकरण की दिशा में अहम कदम
प्रेस वार्ता के दौरान एडीजी ने एक महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए कहा कि बिहार पुलिस को डिजिटल प्रणाली से जोड़ने का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि अभी तक केस डायरी (कांड दैनिकी) हाथ से लिखने की परंपरा चल रही थी, जिसमें हैंडराइटिंग की समस्या उत्पन्न होती थी।
उन्होंने कहा, “हमारा लक्ष्य है कि आगामी दो माह में यह परंपरा पूरी तरह से समाप्त हो और केस डायरी को डिजिटल फॉर्म में लैपटॉप पर लिखा जाए तथा उसी के माध्यम से आदान-प्रदान किया जाए।”
तकनीकी प्रशिक्षण की व्यवस्था
पुलिसकर्मियों को तकनीकी रूप से दक्ष बनाने हेतु उन्हें लैपटॉप और स्मार्टफोन उपलब्ध कराए जा रहे हैं, साथ ही कंप्यूटर का बेसिक प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। थाना, एसपी कार्यालय तथा पुलिस लाइन में यह प्रशिक्षण सुविधा उपलब्ध कराई गई है, जिसमें पुलिसकर्मियों को प्रतिदिन कम से कम एक घंटे का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
एडीजी ने कहा कि यह पहल पुलिस विभाग को तकनीकी रूप से सक्षम बनाएगी और डिजिटल साक्ष्य संग्रहण तथा रिकॉर्डिंग को प्रभावी बनाएगी।
नए कानूनों के अनुसार कार्य प्रणाली में बदलाव
उन्होंने यह भी कहा कि नया कानून लागू हो चुका है और उसी के तहत पुलिस को काम करना होगा। सरकार ने बदलाव के लिए पांच वर्षों की समयसीमा निर्धारित की है, जिसमें कई व्यवस्थाओं को आधुनिक स्वरूप में ढाला जाएगा। भविष्य में जांच की प्रक्रिया भी अब पहले से ज्यादा डिजिटल होगी, चाहे वह फॉरेंसिक जांच हो या केस की विवेचना।
भविष्य की दिशा
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह परिवर्तन केवल तकनीकी नहीं बल्कि सिस्टम की सोच में भी परिवर्तन लाएगा। पुलिस विभाग को पारदर्शी, जवाबदेह और तेजतर्रार बनाने में यह कदम मील का पत्थर साबित होगा।