मुंगेर सदर अस्पताल के डेंगू वार्ड में भर्ती डेंगू मरीज डिस्चार्ज होने के बाद भी नहीं जाना चाह रहे घर, वजह जानकर रह जाएंगे हैरान

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एक ओर जहां सदर अस्पताल के पुराने भवनों और सुविधाविहीन वार्डों में मरीज भर्ती नहीं हो चाह रहे हैं. वहीं डेंगू पीड़ितों के लिये अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस प्री-फैब्रिकेटेड वार्ड में बने डेंगू स्पेशन वार्ड में भर्ती होने के बाद डेंगू मरीज डिस्चार्ज होने पर भी घर जाना नहीं चाह रहे हैं. जिससे डेंगू के नये मरीजों को बेड नहीं मिल पा रहा है. हाल यह है कि अब उच्च गुणवत्तापूर्ण सुविधा ही अस्पताल प्रबंधन के लिये मुसीबत बन गयी है।

इस बीच डेंगू वार्ड में तैनात चिकित्सकों द्वारा सुरक्षाकर्मियों की मदद से डिस्चार्ज हो चुके डेंगू मरीजों को घर भेजने का जबरन प्रयास किया गया. जिसे लेकर मरीजों ने हंगामा किया. वहीं सूचना पर डेंगू वार्ड पहुंचे अस्पताल उपाधीक्षक और अस्पताल प्रबंधक के समझाने के बावजूद 23 डिस्चार्ज मरीजों में मात्र 7 मरीज ही घर गये.
बता दें कि जिले में वैसे तो डेंगू संक्रमण कम हो रहा है. लेकिन इसके बावजूद जहां एलाइजा जांच में डेंगू मरीज मिल रहे हैं. वहीं प्रतिदिन सदर अस्पताल में दर्जनों मरीज डेंगू के लक्षणों से पीड़ित होकर भर्ती हो रहे हैं।

ऐसे मरीज, जो डेंगू के रैपिड जांच में एनएस-1 पॉजिटिव हो रहे हैं. वैसे मरीजों को अस्पताल प्रबंधन द्वारा प्री-फैब्रिकेटेड अस्पताल में बने 80 बेड के डेंगू वार्ड में रखा जा रहा है. जो उच्च गुणवत्तापूर्ण सुविधाओं से लैस है. साथ ही यहां अस्पताल प्रबंधन द्वारा चिकित्सक और स्वास्थ्यकर्मियों की अलग से प्रतिनियुक्ति की गयी है. जिसके कारण यहां 24×7 चिकित्सक और स्वास्थ्य कर्मी मौजूद होते हैं. इतना ही नहीं, प्री-फैब्रिकेटेड अस्पताल में बने वार्ड में ही चिकित्सक और स्वास्थ्यकर्मियों के बैठने की व्यवस्था है।

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ऐसे में जहां मरीजों को उच्च गुणवत्तापूर्ण सुविधा के साथ 24×7 चिकित्सक और स्वास्थ्य कर्मी मौजूद मिल रहे हैं. वहां डेंगू के भर्ती मरीज इलाज के बाद ठीक होने पर भी घर जाने को तैयार नहीं है. हलांकि स्वास्थ्य विभाग द्वारा 50 हजार से अधिक प्लेटलेटस वाले मरीजों को ही डिस्चार्ज कर घर भेजा रहा है, साथ ही ऐसे मरीजों को घर पर ही दवा लेने का निर्देश दिया जा रहा है. लेकिन इसके बावजूद मरीज घर जाने को तैयार नहीं हैं. जिससे अब डेंगू स्पेशल वार्ड में नये भर्ती होने वाले मरीजों को बेड तक नहीं मिल पा रहा है।

जबरन घर भेजने के प्रयास पर मरीजों ने किया हंगामा डेंगू मरीजों के लिए सदर अस्पताल के प्री-फैब्रिकेटेड अस्पताल में बने डेंगू स्पेशल वार्ड में मंगलवार तक लगभग 80 मरीज भर्ती थे. जिसके कारण नये भर्ती होने वाले मरीजों को बेड मिलने में परेशानी होने लगी. वहीं नए डेंगू मरीजों को बेड उपलब्ध कराने के लिए पूर्व से इलाज करा रहे वैसे मरीज, जिनका प्लेटलेट्स 50 हजार से उपर है. उन्हें मंगलवार को अपराह्न 02 बजे से ड्यूटी कर रहे डॉ. अभिरंजन रजक द्वारा जबरन डिस्चार्ज कर घर भेजने का प्रयास किया गया।

डॉक्टर द्वारा 50 हजार से ऊपर प्लेटलेट वाले कुल 23 मरीजों का लिस्ट तैयार कर डिस्चार्ज कर घर भेजा जा रहा था. इससे असंतुष्ट कई मरीज व उनके परिजनों ने पूरी तरह ठीक होने तक डिस्चार्ज होकर घर जाने से इंकार कर दिया. जिसे लेकर चिकित्सक द्वारा सुरक्षा गार्ड को बुला कर मरीजों को डिस्चार्ज करने का प्रयास किया गया. जिसके बाद मरीज हंगामा करने लगे. वहीं सूचना मिलने पर अस्पताल प्रबंधक मनीष कुमार डेंगू वार्ड पहुंचे. जहां उन्होंने अस्पताल उपाधीक्षक डॉ रमन कुमार को स्थिति से अवगत कराया।

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जिसके बाद अस्पताल प्रबंधन और अस्पताल उपाधीक्षक के समझाने पर कुल 23 मरीजों में मात्र 7 मरीज ही घर गये.
परिजन बोले घट रहा प्लेटलेट तो कैसे जाएं घर अस्पताल प्रबंधक द्वारा समझाने के दौरान एक मरीज के परिजन ने बताया कि 75 हजार प्लेटलेट रहने पर वह सोमवार को ही मरीज को एडमिट कराए हैं. मंगलवार को प्लेटलेट घट कर 65 हजार हो गया है. बावजूद उनके मरीज को यह कहकर डिस्चार्ज किया जा रहा है कि प्लेटलेटस 50 हजार से उपर है।

आप घर जाकर इलाज कराइए. ऐसे में वे लोग कैसे मरीज को घर ले जाएं, जबकि प्लेटलेट घटने का क्रम जारी है. 10 वर्षीय सलमान को लेकर बेड के लिये भटकती रही मां शहर के गुलजार पोखर निवासी एक महिला डेंगू पीड़ित 10 वर्षीय बच्चा सलमान को लेकर फैब्रिकेटेड वार्ड एडमिट होने पहुंची थी. लेकिन बेड खाली नहीं रहने के कारण सलमान को बेड नहीं मिल पाया. जिसके कारण काफी देर तक सलमान की मां उसे गोद में लिये जमीन पर ही बैठी रही. इस दौरान कई डिस्चार्ज मरीजों को बेड खाली करने को कहा गया।

लेकिन मरीज बेड खाली करने को तैयार नहीं हुये. इस बीच अस्पताल प्रबंधक के सझाने के बाद 7 मरीजों के घर जाने पर सलमान को वार्ड में बेड उपलब्ध कराया गया. कहते है अस्पताल उपाधीक्ष सदर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ रमन कुमार ने बताया कि फैब्रिकेटेड वार्ड में बने डेंगू वार्ड में बेड की कमी को देखते हुए उन्होंने निर्देश दिया था कि जिस मरीज का प्लेटलेटस बढ़ते हुए 50 हजार से उपर चला जाये. वैसे मरीजों को डिस्चार्ज कर घर भेजा जा सकता है. हलांकि घटते क्रम वाले मरीजों को डिस्चार्ज नहीं किया जायेगा. फैब्रिकेटेड वार्ड के डॉक्टर को इस संबंध में दोबारा निर्देशित किया जायेगा.

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