मकर संक्रांति को लेकर मुंगेर के विभिन्न जगहों पर सजने लगी तिलकुट की दुकानें। नवादा और गया से बुलाएं गए कारीगर के द्वारा बनाए गए तिलकुट की सौंधी सुगंध से पूरा वातावरण सुगंधित हो उठता है। यहां कई प्रकार के तिलकुट मिलते है । जिसे लोग संदेश के रूप में अपने रिश्तेदारों के यहां भी भेजते है।
रिपोर्ट :- रोहित कुमार
दरअसल मुंगेर मुख्य शहर में तिलकुट के कई दुकान हैं। लेकिन शहर का गांधी चौक एवं शादीपुर तिलकुट व्यवसाय के लिए प्रसिद्ध है। और यहां तिलकुट की बड़ी मंडी सजती है। स्थानीय लोग तो इस व्यवसाय से जुड़े ही हैं। लेकिन गया एवं नवादा जिले के तिलकुट कारीगर और व्यवसायी भी यहां कारोबार के लिए पहुंचते हैं। जो भाड़े पर जगह लेकर कारोबार करते है।
यहां की अर्थ व्यवस्था भी कुछ हद तक इस कारोबार पर टिकी हुई है। यू तो नवंबर माह से ही तिलकुट की सोंधी खुशबू से वातावरण खुशनुमा हो जाता है । लेकिन मकर संक्राति का मुख्य मिठाई तिलकुट माना जाता है। जो नवंबर माह से ही मुंगेर में तिलकुट का निर्माण चालू हो जाता है। जो जनवरी माह तक चलता है। इस दौरान यहां तिलकुट का कारोबार लाखों में होता है।
वही मुंगेर में कई प्रकार के तिलकुट को बनाया जाता है। जिसमें चीनी का तिलकुट , गुड़ का तिलकुट , खोवे वाला तिलकुट मुख्य रूप से बनाया जाता है। जो खाने में काफी स्वादिष्ट होता है। व्यवसायी कालू कुमार ने कहा कि वे नवादा और गया के रहने वाले हैं। नवंबर माह में ही तिलकुट कारीगर मुंगेर आ जाते है।
और तिलकुट का कारोबार करते हैं। और जनवरी माह तक यह व्यवसाय चलता है। वही एक दिन में 5 से 8 हजार तक की बिक्री हो जाती है। वहीं तिलकुट खरीदने आए खरीदारों ने बताया कि तिलकुट जो पहले गया से बन कर यहां आता था। अब यहां ही मिलने लगा है। जिसका स्वाद काफी खास होता है।
इस तिलकुट को संदेश के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। जिसे खास कर लोग बेटियों के ससुराल दही चुरा के साथ इस तिलकुट को भी भेजना पसंद करते है।