मुंगेर के खैरा मांझी टोला में 78 साल बाद पहुंचा पहला ई-रिक्शा, गांव में बदली तस्वीर

Share With Friends or Family

आज़ादी के 78 वर्षों के लंबे इंतज़ार के बाद मुंगेर ज़िले के हवेली खड़गपुर प्रखंड के खैरा मांझी टोला ने पहली बार विकास की असली रफ्तार देखी। मिट्टी की पगडंडियों और खेतों की मेढ़ के सहारे जीवन गुजारते इस गांव ने जब पहली बार अपने आंगन में ई-रिक्शा चलता देखा, तो मानो सपना हक़ीक़त बन गया। यह केवल एक साधन का आगमन नहीं था, बल्कि एक युग परिवर्तन की शुरुआत थी।

पगडंडी से पक्की सड़क तक का सफर

गांव तक पहुंचने का रास्ता पहले बेहद कठिन और अव्यवस्थित था। बारिश में कीचड़, गर्मियों में धूल और बीमार व्यक्ति को खाट पर अस्पताल ले जाने की मजबूरी यहां के लोगों की नियति थी। लेकिन अब पक्की सड़क का निर्माण हो रहा है। यह सड़क न केवल यात्रा को आसान बनाएगी, बल्कि पूरे गांव की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को बदल देगी।

गांव में उत्सव का माहौल

ई-रिक्शा के गांव पहुंचते ही गांव के लोगों में ऐसा उल्लास देखने को मिला जैसे किसी त्यौहार का दिन हो। बुज़ुर्गों की आंखों में आंसू थे, और बच्चों में उत्साह। महिलाएं दरवाजों पर दीप जलाकर इस क्षण को यादगार बना रही थीं। गांव की यह ऐतिहासिक घड़ी, आने वाली पीढ़ियों के लिए गर्व की बात बन गई।

बदलती ज़िंदगी, जुड़ता भविष्य

लगभग 400 की आबादी वाले इस टोले में अब शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा समय पर पहुंच सकेगी। बच्चे अब स्कूल तक सुरक्षित और जल्दी पहुंच सकेंगे। बीमार व्यक्ति को अस्पताल ले जाना अब किसी चुनौती से कम नहीं रहेगा। यह विकास सिर्फ एक सड़क का नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता की ओर उठाया गया बड़ा कदम है।

इसे भी पढ़ें :  होल्डिंग टैक्स को ले मुंगेर नगर निगम के मेयर कुमकुम देवी ने किया प्रेस वार्ता

विकास की नई इबारत: सड़क, पुल और सुविधाएं

गांव को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए 2 करोड़ की लागत से सड़क बनाई जा रही है। इस सड़क पर दो आरसीसी पुल और दो पुलिया भी बन रही हैं, जो गांव के आवागमन को और मज़बूती देंगी। इसके साथ ही आंगनबाड़ी केंद्र की शुरुआत, शौचालय निर्माण और स्वच्छता अभियान जैसी योजनाएं भी गांव को तरक्की की नई दिशा में ले जा रही हैं।

गांववालों की खुशी: अब कोई नहीं कतराएगा

जहां पहले शादी-ब्याह के मौके पर लोग गांव आने से कतराते थे, वहीं अब गांव के लोग बड़े गर्व से कहते हैं — “अब मेहमान आएंगे, हमारे बच्चे पढ़ेंगे, बीमार अस्पताल समय पर पहुंचेंगे। हम भी अब मुख्यधारा में हैं।” यह बदलाव सिर्फ सड़क का नहीं, आत्मसम्मान का है।

 

Share With Friends or Family

Leave a Comment