मुंगेर जिले में दहेज न देने पर पत्नी की हत्या के मामले में आखिरकार चार साल के लंबे इंतजार के बाद न्यायालय ने अपना फैसला सुना दिया है। यह फैसला समाज में एक कठोर संदेश देता है कि दहेज जैसी कुप्रथा के लिए कोई भी अपराधी बख्शा नहीं जाएगा।
फैसले की घोषणा
मुंगेर व्यवहार न्यायालय के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश तृतीय, रुम्पा कुमारी ने सत्रवाद संख्या 289/2022 के तहत यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया। इस मामले में आरोपी रोशन कुमार को उसकी पत्नी सुहानी कुमारी की हत्या के जुर्म में दोषी पाते हुए दस वर्ष का सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई।
सजा की विस्तृत जानकारी
केवल दस वर्ष की सश्रम कारावास ही नहीं, बल्कि अन्य संबंधित धाराओं के तहत भी आरोपी को तीन वर्ष और एक वर्ष की अतिरिक्त सजा सुनाई गई है। हालांकि, इन सभी सजाओं को साथ-साथ चलाने का आदेश दिया गया है। साथ ही, आरोपी की विचाराधीन अवधि को भी सजा में समायोजित किया जाएगा।
हत्या की पृष्ठभूमि
अभियोजन पक्ष के अनुसार, लखीसराय जिले के पुरानी बाजार निवासी शैलेश कुमार ने अपनी पुत्री सुहानी कुमारी की शादी बरियारपुर थाना क्षेत्र के गांधीपुर निवासी मनोज मंडल के पुत्र रोशन कुमार से की थी। शादी के कुछ समय बाद ही ससुराल पक्ष द्वारा दहेज की मांग की जाने लगी। जब सुहानी के पिता शैलेश कुमार ने एक लाख रुपये देने में असमर्थता जताई, तब यह विवाद हिंसक रूप लेने लगा।
मृत्यु और प्राथमिकी
23 जुलाई 2021 को सुहानी कुमारी की रहस्यमय परिस्थितियों में मृत्यु हो गई। रोशन कुमार के पिता मनोज मंडल ने मृतक के पिता को मोबाइल के माध्यम से इस घटना की जानकारी दी। शैलेश कुमार को तुरंत यह शक हुआ कि उनकी पुत्री की हत्या दहेज की वजह से की गई है। उन्होंने बरियारपुर थाना में प्राथमिकी दर्ज करवाई, जिसका कांड संख्या 88/2021 था।
जांच और अभियोजन पक्ष की भूमिका
इस मामले की गहन जांच के बाद आरोप तय किए गए। अभियोजन पक्ष की ओर से अपर लोक अभियोजक सरोज कुमार ने न्यायालय में मजबूत दलीलें प्रस्तुत कीं। उन्होंने यह साबित किया कि सुहानी की मौत स्वाभाविक नहीं थी, बल्कि यह एक सोची-समझी हत्या थी जो दहेज की मांग पूरी न होने पर अंजाम दी गई।
न्याय का संदेश
चार साल तक चले इस मुकदमे में आखिरकार न्याय की जीत हुई। यह फैसला समाज को यह संदेश देता है कि बेटियों पर अत्याचार और दहेज के लिए हत्याएं अब बर्दाश्त नहीं की जाएंगी। न्यायालय का यह फैसला समाज में बदलाव लाने वाला और पीड़ित परिवार को राहत देने वाला है।