मुंगेर के किला परिसर स्थित बंदूक फैक्ट्री में शुक्रवार की सुबह एक दुखद हादसा हुआ, जिसमें ड्यूटी पर तैनात 45 वर्षीय होमगार्ड जवान मोहम्मद जुबेर आलम की मौत हो गई। जानकारी के अनुसार, जुबेर आलम रात में फैक्ट्री की छत पर सोए हुए थे। सुबह जब वे नीचे उतरने लगे, तभी सीढ़ी से उनका पैर फिसल गया और वह संतुलन खो बैठें। गिरने के दौरान उनके सिर में गंभीर चोट आई। आसपास मौजूद लोगों ने तुरंत उन्हें उठाया और मुंगेर सदर अस्पताल ले जाया गया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
परिजनों में पसरा मातम
जैसे ही मोहम्मद जुबेर आलम की मौत की खबर उनके घर पहुंची, वहां कोहराम मच गया। पत्नी अफसाना बेगम, उनके बच्चे और पिता बेसुध हो गए। परिवार का हर सदस्य सदमे में है और रो-रोकर बुरा हाल है। मोहम्मद जुबेर आलम अपने परिवार के इकलौते कमाऊ सदस्य थे। उनकी असमय मौत से पूरे घर पर मानो दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है।
पुलिस ने शव को लिया कब्जे में
घटना की जानकारी मिलते ही स्थानीय थाना पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। साथ ही, घटना की जांच शुरू कर दी गई है। प्राथमिक जांच में मौत का कारण सीढ़ी से फिसलकर गिरना बताया गया है। हालांकि, पुलिस अन्य कोणों से भी मामले की पड़ताल कर रही है ताकि किसी प्रकार की लापरवाही या साजिश की आशंका को नकारा जा सके।
मृतक का पारिवारिक परिचय
मोहम्मद जुबेर आलम असरगंज थाना क्षेत्र के बिशनपुर गांव के रहने वाले थे। वे पिछले एक साल से मुंगेर की बंदूक फैक्ट्री में सुरक्षा प्रहरी (सुरक्षा गार्ड) के रूप में कार्यरत थे। अपने शांत स्वभाव और कर्तव्यनिष्ठा के लिए उन्हें सभी सहकर्मी सम्मान की दृष्टि से देखते थे। वे बेहद मेहनती और जिम्मेदार व्यक्ति थे। उनकी अचानक मृत्यु ने फैक्ट्री परिसर में भी शोक की लहर दौड़ा दी है।
बंदूक फैक्ट्री में सुरक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल
इस घटना के बाद बंदूक फैक्ट्री की सुरक्षा व्यवस्था और कर्मचारियों के लिए उपलब्ध सुविधाओं पर सवाल खड़े हो गए हैं। अगर सीढ़ी पर सुरक्षा रेलिंग या पर्याप्त प्रकाश की व्यवस्था होती तो शायद यह हादसा टाला जा सकता था। कर्मचारियों ने भी प्रबंधन से अपील की है कि फैक्ट्री में सुरक्षा मानकों को बेहतर किया जाए ताकि भविष्य में इस प्रकार की दुर्घटनाओं से बचा जा सके।
अंतिम विदाई की तैयारी
पोस्टमार्टम के बाद जुबेर आलम के शव को उनके पैतृक गांव बिशनपुर लाया जाएगा, जहां पूरे सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। गांव में भी मातमी सन्नाटा पसरा हुआ है। लोग जुबेर आलम के सरल स्वभाव और सहयोगी व्यवहार को याद कर रहे हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना कर रहे हैं।