मुंगेर में भ्रष्टाचार से ध्वस्त मनरेगा सड़क, एक महीने में बिखर गया लाखों का निर्माण

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मुंगेर जिले के असरगंज प्रखंड क्षेत्र के मकवा पंचायत अंतर्गत अद्रास गांव में मनरेगा योजना के तहत बनी पीसीसी सड़क भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई। यह सड़क निर्माण के महज एक माह के भीतर ही टूटकर बिखर गई, जिससे ग्रामीणों में भारी नाराजगी और प्रशासन के प्रति अविश्वास पैदा हो गया है।

मनरेगा योजना के अंतर्गत हुआ निर्माण, फिर भी ध्वस्त हो गई सड़क

मुंगेर जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर, असरगंज प्रखंड के मकवा पंचायत के अद्रास गांव के वार्ड संख्या 16 में मनरेगा योजना के तहत “अद्रास में मेन रोड से परारी पोखर तक” पीसीसी सड़क का निर्माण कराया गया। यह योजना लाखों रुपये की लागत से पूरी की गई थी, जिसका उद्देश्य ग्रामीणों को बेहतर सड़क सुविधा प्रदान करना था। लेकिन निर्माण कार्य की गुणवत्ता इतनी निम्न स्तर की थी कि मात्र एक माह के भीतर ही सड़क जगह-जगह से टूटकर बिखरने लगी।

गुणवत्ता को किया गया नजरअंदाज, ठेकेदारों की लापरवाही उजागर

स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि इस सड़क के निर्माण में गिट्टी और मोरंग जैसी बुनियादी सामग्रियों का इस्तेमाल तक नहीं किया गया। कच्ची जमीन पर सिर्फ बालू और सीमेंट मिलाकर सड़क बना दी गई, जो अत्यंत घटिया और अस्थायी निर्माण की मिसाल है। इस लापरवाही से यह स्पष्ट हो गया है कि ठेकेदारों और जिम्मेदार अधिकारियों ने योजना की गुणवत्ता से पूरी तरह समझौता किया और भ्रष्टाचार को प्राथमिकता दी।

योजना स्थल पर नहीं मिला कोई सूचना पट, न ही सार्वजनिक जानकारी

इतना ही नहीं, योजना स्थल पर न तो कोई योजना पट लगाया गया है और न ही योजना की लागत, समयसीमा या अन्य आवश्यक विवरण साझा किए गए हैं। यह मनरेगा योजना के नियमों का सीधा उल्लंघन है। हर सरकारी योजना के तहत निर्माण स्थल पर योजना से संबंधित सम्पूर्ण जानकारी देना अनिवार्य होता है, जिससे जनता को पारदर्शिता के साथ जानकारी मिल सके, परंतु यहाँ इसकी घोर अनदेखी की गई।

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मजदूरी मद से निकाले गए 1,53,125, लेकिन कार्य नहीं दिखा प्रभावी

इस योजना में मजदूरी मद से एक लाख तिरपन हजार एक सौ पच्चीस रुपये (₹1,53,125) की निकासी की गई है, जबकि वास्तविकता यह है कि जिस गुणवत्ता का कार्य होना चाहिए था, उसका कोई अंश भी देखने को नहीं मिलता। इस निकासी पर भी सवाल उठना लाज़मी है, क्योंकि अगर मजदूरों को भुगतान हुआ, तो काम की गुणवत्ता इतनी खराब क्यों रही? कहीं यह राशि कागजी प्रक्रिया के जरिए ही तो नहीं निकाली गई?

प्रशासनिक चुप्पी और कार्रवाई का आश्वासन

जब इस मामले में मीडिया ने मनरेगा के जिला परियोजना पदाधिकारी (DPO) से बात करने की कोशिश की, तो उन्होंने कैमरे के सामने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। हालांकि, उन्होंने आश्वासन दिया कि इस मामले में जांच कर कार्रवाई की जाएगी। लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि सिर्फ आश्वासन से अब भरोसा नहीं होता, उन्हें सख्त कार्रवाई चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह की लापरवाहियां रोकी जा सकें।

ग्रामीणों की माँग : दोषियों के खिलाफ हो सख्त कार्रवाई

अद्रास गांव के निवासियों का कहना है कि यह सड़क उनके लिए बहुत जरूरी थी, क्योंकि यही मार्ग उन्हें मुख्य सड़क से जोड़ता है। लेकिन भ्रष्टाचार ने उनके सपनों पर पानी फेर दिया। ग्रामीणों ने मांग की है कि दोषी ठेकेदारों और अधिकारियों के खिलाफ जांच कर सख्त कार्रवाई की जाए ताकि आने वाली योजनाओं में ईमानदारी से कार्य हो और जनता को उनका हक मिल सके।

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