भीषण गर्मी में 1200 किलोमीटर के पैदल यात्रा पर निकला मुंगेर का यह युवक, वजह जानकर हो जाएंगे हैरान

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कहते हैं जब मन में सच्ची आस्था हो और उद्देश्य स्पष्ट हो, तो रास्ते की कठिनाइयाँ भी छोटी लगने लगती हैं। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है बिहार के मुंगेर जिले के तारापुर निवासी रणजीत कुमार ने, जो भीषण गर्मी के बावजूद अपने ईष्ट देव खाटू श्याम बाबा के दर्शन के लिए पैदल ही 1200 किलोमीटर की यात्रा पर निकल पड़े हैं। उनकी इस धार्मिक यात्रा ने न सिर्फ उनके इलाके में बल्कि पूरे क्षेत्र में एक प्रेरणास्पद माहौल पैदा कर दिया है।

साधारण परिवार से असाधारण सोच तक

रणजीत कुमार तारापुर निवासी स्वर्गीय सुनील साव के पुत्र हैं। एक साधारण परिवार से आने वाले रणजीत की सोच असाधारण है। जहां आज के समय में लोग आराम और सुविधाओं को प्राथमिकता देते हैं, वहीं रणजीत ने कड़ी धूप, कठिन रास्तों और पैरों में छाले पड़ने जैसी मुश्किलों को नजरअंदाज करते हुए एक विशेष धार्मिक मिशन की शुरुआत की है। उनका मानना है कि सच्ची श्रद्धा में वह शक्ति होती है जो हर बाधा को पार कर सकती है।

पैदल यात्रा का उद्देश्य

रणजीत की यह यात्रा सिर्फ व्यक्तिगत भक्ति तक सीमित नहीं है। उन्होंने साफ कहा कि इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य भगवान के प्रति लोगों में आस्था को और मजबूत करना है। साथ ही वे देश में शांति, सौहार्द्र और आपसी भाईचारे का संदेश भी देना चाहते हैं। उनका मानना है कि जब लोग धर्म और सद्भाव में विश्वास करते हैं, तो समाज में सकारात्मक परिवर्तन स्वाभाविक रूप से आता है।

पहले भी कर चुके हैं कठिन यात्राएँ

रणजीत कुमार कोई पहली बार इतनी कठिन यात्रा पर नहीं निकले हैं। इससे पूर्व वे अपने भाई और दोस्तों के साथ 2023 में केदारनाथ और 2024 में बद्रीनाथ की कठिन पैदल यात्राएँ भी पूरी कर चुके हैं। दोनों ही यात्राएँ उत्तराखंड के ऊँचाई वाले क्षेत्रों में स्थित हैं और बेहद चुनौतीपूर्ण मानी जाती हैं। ऐसे में उनका अनुभव भी काफी गहरा हो चुका है। लेकिन इस बार की यात्रा की खास बात यह है कि वे अकेले ही खाटू श्याम बाबा के दर्शन को निकल पड़े हैं।

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भीषण गर्मी में नंगे पांव की यात्रा

गर्मी अपने चरम पर है। दोपहर के समय जब लोग घरों से बाहर निकलने से भी डरते हैं, उस समय रणजीत नंगे पांव यात्रा कर रहे हैं। उन्होंने अपने गाँव तारापुर के खाटू श्याम मंदिर से ही अपनी यात्रा की शुरुआत की। वे प्रतिदिन तय दूरी तय कर आगे बढ़ रहे हैं, रास्ते में साधारण जगहों पर रुकते हैं और केवल शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण करते हैं। यह उनकी सादगी और साधना दोनों का प्रतीक है।

लोगों से मिल रहा समर्थन और शुभकामनाएँ

रणजीत की इस अनूठी यात्रा को लेकर न सिर्फ उनके परिवार बल्कि पूरे गाँव के लोग गर्व महसूस कर रहे हैं। यात्रा की शुरुआत के समय बड़ी संख्या में लोग उन्हें विदा करने आए और उन्हें शुभकामनाएँ दीं। लोग प्रार्थना कर रहे हैं कि वे इस कठिन यात्रा को सफलतापूर्वक पूरा करें और खाटू श्याम बाबा के दर्शन कर सकें। कई लोग सोशल मीडिया पर भी रणजीत की हिम्मत और भक्ति की सराहना कर रहे हैं।

धार्मिक आस्था का नया रूप

रणजीत की यह यात्रा एक तरह से आज के युवाओं को यह संदेश देती है कि भक्ति का मार्ग केवल परंपराओं में ही नहीं, बल्कि दृढ़ संकल्प और साहस में भी होता है। वे यह साबित कर रहे हैं कि श्रद्धा अगर सच्ची हो, तो कोई भी दूरी, कोई भी मौसम और कोई भी परेशानी आड़े नहीं आती। उनकी यह पहल आधुनिक समय में धर्म और युवा शक्ति के मेल का एक उत्कृष्ट उदाहरण बन रही है।

समाप्ति : श्रद्धा की शक्ति को सलाम

मुंगेर के रणजीत कुमार ने जो कदम उठाया है, वह सिर्फ एक धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि श्रद्धा, संकल्प और सेवा भाव का प्रतीक है। नंगे पांव, तपती सड़कें और लंबा सफर—इन सबके बावजूद उनका उत्साह कम नहीं हुआ है। यह यात्रा न सिर्फ उनकी आस्था को मजबूत कर रही है, बल्कि समाज में एक सकारात्मक संदेश भी फैला रही है। हम सबको रणजीत जैसे लोगों से प्रेरणा लेनी चाहिए, जो अपने विश्वास को जीवन का मार्गदर्शन बनाते हैं।

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