मुंगेर में लगा कंबल वाले बाबा का चमत्कारी दरबार, चुटकियों में करता है लोगों को ठीक जानिए

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मुंगेर जिले के हवेली खड़गपुर प्रखंड के प्रसांडो गांव में आयोजित श्री श्री 1008 रूद्र चंडी महायज्ञ इन दिनों भक्तों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इस महायज्ञ का उद्देश्य धार्मिक जागरूकता के साथ-साथ जनकल्याण और आध्यात्मिक उन्नति को बढ़ावा देना है। यहां रोजाना हजारों की संख्या में श्रद्धालु जुट रहे हैं, जो यज्ञ में भाग लेने के साथ-साथ दिव्य शक्तियों का अनुभव करने के लिए भी आ रहे हैं।

2. कंबल वाले बाबा का आगमन: एक विशेष आकर्षण

4 मई को कंबल वाले बाबा का आगमन इस आयोजन की शोभा और श्रद्धालुओं की आस्था को कई गुना बढ़ा गया। बाबा 6 मई तक प्रसांडो गांव में रुकेंगे और अपने चमत्कारी दरबार के माध्यम से लोगों के रोगों का इलाज करेंगे। बाबा की लोकप्रियता इतनी अधिक है कि उनके नाम से ही गांव और आसपास के क्षेत्रों में उत्साह की लहर दौड़ गई।

3. चमत्कारी दरबार की शुरुआत: भक्तों की उमड़ी भीड़

रविवार की सुबह 10 बजे बाबा का चमत्कारी दरबार जैसे ही शुरू हुआ, हजारों की संख्या में श्रद्धालु वहाँ पहुँचने लगे। बाबा अपने वरदान से मिले एक विशेष ‘कंबल’ के माध्यम से मरीजों का इलाज कर रहे थे। यह कंबल, जिसे लोग “चमत्कारी कंबल” कहते हैं, को बाबा रोगियों पर रखते हैं और दावा किया जाता है कि इससे गंभीर बीमारियाँ भी चुटकी में ठीक हो जाती हैं। कई लोगों ने बताया कि पैरालिसिस, गठिया, जोड़ों का दर्द, बहरेपन जैसी समस्याओं से उन्हें तुरंत राहत मिली।

4. भीड़ और अव्यवस्था: आयोजन पर उठे सवाल

दरबार शुरू होते ही हर दिशा से भीड़ उमड़ पड़ी। आयोजन समिति द्वारा लगाए गए वॉलिंटियर्स इस भीड़ को नियंत्रित नहीं कर सके। नतीजा यह हुआ कि दरबार की व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई और बाबा को बीच में ही दरबार रोकना पड़ा। कई श्रद्धालु धक्का-मुक्की में घायल हो गए और बच्चों व बुजुर्गों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। यह स्थिति आयोजकों की तैयारियों पर सवाल खड़े करती है।

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5. मीडिया और वीडियो रिकॉर्डिंग पर नियंत्रण

दरबार के दौरान लोगों द्वारा लगातार वीडियो बनाए जा रहे थे। इस पर आपत्ति जताते हुए आयोजकों ने पत्रकारों और आम लोगों को वीडियो बनाने से रोकने की कोशिश की। इससे कुछ समय के लिए विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई। हालांकि बाद में बाबा ने स्वयं पत्रकारों से बातचीत की और उनके सवालों के उत्तर दिए। इसके बाद माइकिंग के ज़रिए सभी लोगों को शांति बनाए रखने की अपील की गई, तब जाकर दोबारा दरबार शुरू हो सका।

6. स्वास्थ्य लाभ के लिए उमड़े रोगी

कंबल वाले बाबा के दरबार में दूर-दूर से रोगी पहुंच रहे हैं। कुछ चलने-फिरने में असमर्थ हैं, तो कुछ वर्षों से किसी बीमारी से पीड़ित हैं। पैरालिसिस, गठिया, कमर और घुटनों का दर्द, कान की सुनाई न देना जैसी समस्याओं से ग्रस्त लोग बाबा के चमत्कारी इलाज के भरोसे आ रहे हैं। कई लोगों ने दावा किया कि उन्हें मात्र एक स्पर्श से राहत मिली। हालांकि इस तरह के इलाज की वैज्ञानिक पुष्टि अभी तक नहीं हुई है, लेकिन आस्था के बल पर लोग उम्मीद लेकर यहाँ पहुँच रहे हैं।

7. लगातार बढ़ रही भीड़ से कार्यक्रम में व्यवधान

भक्तों की भारी भीड़ और आयोजन समिति की नाकाम व्यवस्थाओं के कारण कार्यक्रम को बार-बार रोकना पड़ रहा है। इससे ना सिर्फ श्रद्धालुओं में असंतोष बढ़ रहा है, बल्कि बाबा की साधना और उपचार प्रक्रिया भी प्रभावित हो रही है। सुरक्षा बलों की संख्या कम है और वॉलिंटियर्स अनुभवहीन लग रहे हैं। आयोजकों के अनुसार, उन्होंने पहले से पुलिस प्रशासन को सूचना दी थी, लेकिन उम्मीद से ज्यादा भीड़ ने व्यवस्था को चुनौती में डाल दिया है।

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8. विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति और बढ़ती चिंताएं

इस महायज्ञ में प्रसिद्ध कथावाचक अनिरुद्ध आचार्य, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, सांसद मनोज तिवारी और राज्य के उपमुख्यमंत्री सहित कई प्रतिष्ठित नेता आने वाले हैं। ऐसे में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर और भी गंभीरता अपेक्षित है। अगर भीड़ पर जल्द काबू नहीं पाया गया, तो किसी अप्रिय घटना की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

9. आस्था बनाम अव्यवस्था: संतुलन की आवश्यकता

जहां एक ओर श्रद्धालुओं की आस्था और बाबा की चमत्कारी शक्तियों में विश्वास लोगों को खींच कर ला रहा है, वहीं दूसरी ओर आयोजन समिति की कुप्रबंधन से उत्पन्न अव्यवस्था इस महायज्ञ की गरिमा को प्रभावित कर रही है। धार्मिक आयोजनों में अनुशासन और बेहतर प्रबंधन की आवश्यकता होती है, ताकि न केवल श्रद्धालुओं की आस्था बनी रहे, बल्कि सुरक्षा भी सुनिश्चित हो सके।

10. निष्कर्ष: एक भव्य आयोजन जिसमें सुधार की जरूरत

श्री श्री 1008 रूद्र चंडी महायज्ञ एक अत्यंत पवित्र और जनकल्याणकारी आयोजन है, लेकिन कंबल वाले बाबा की उपस्थिति के कारण यह आयोजन अत्यधिक भीड़ और चुनौतियों का केंद्र बन गया है। बाबा की दिव्य शक्तियों पर लोगों की आस्था अडिग है, लेकिन ऐसी बड़ी भीड़ को संभालने के लिए एक बेहतर और सुव्यवस्थित योजना की ज़रूरत है। आने वाले दिनों में अगर प्रशासन और आयोजन समिति मिलकर प्रभावी कदम उठाते हैं, तो यह आयोजन एक ऐतिहासिक धार्मिक उत्सव बन सकता है।

 

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