“भला है बुरा है, चाहे जैसा भी है, मेरा पति मेरा देवता है” — यह गीत आपने जरूर सुना होगा। यह सिर्फ सिनेमा की लाइन नहीं, बल्कि कई भारतीय पत्नियों के दिल की आवाज़ है। इस गीत की भावनाओं को धरातल पर साकार होते हाल ही में मुंगेर जिले के धरहरा थाना परिसर में देखा गया, जहां एक पत्नी ने अपने पति की लंबी उम्र की कामना करते हुए वट सावित्री व्रत निभाया, भले ही उसका पति शराब के साथ पकड़ा गया आरोपी ही क्यों न हो।
वट सावित्री व्रत की महिमा
वट सावित्री व्रत भारतीय परंपरा का एक अत्यंत पवित्र पर्व है, जिसमें पत्नी अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती है। यह व्रत सावित्री की उस कथा पर आधारित है, जिसमें उन्होंने यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण वापस लिए थे। इस दिन विवाहित महिलाएं व्रत रखती हैं, पीपल और वट वृक्ष की पूजा करती हैं, और पति के सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।
धरहरा थाना में पत्नी की भावनात्मक उपस्थिति
इस साल वट सावित्री व्रत पर एक अनोखी घटना देखने को मिली। धरहरा थाना में एक महिला, जिसका पति शराब के साथ गिरफ्तार हुआ था, वह अपने व्रत की परंपरा निभाने थाने पहुंची। उसने थानाध्यक्ष से अनुमति मांगी कि वह अपने पति को रक्षा सूत्र बांध सके, उसके पांव छू सके और चंदन का टीका लगा सके। यह भावुक दृश्य देखकर वहां मौजूद हर कोई दंग रह गया।
आरोपी पति लेकिन पत्नी की अटूट श्रद्धा
विक्की यादव, जो 150 लीटर महुआ शराब के साथ धरहरा पुलिस द्वारा पकड़ा गया था, उसे कोर्ट में पेश करने से पहले हाजत में रखा गया था। पर उसकी पत्नी ने, अपने व्रत की आस्था को महत्व देते हुए, थाने पहुंचकर पति को पूजने की अनुमति मांगी। पुलिस ने मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए आरोपी को कुछ क्षण के लिए बाहर निकाला। पत्नी ने उसके पांव छुए, रक्षा सूत्र बांधा और लंबी उम्र की कामना की।
सामाजिक सोच पर एक सवाल
यह घटना एक बड़ा प्रश्न भी खड़ा करती है — क्या पति के दोषों के बावजूद पत्नी का यह समर्पण उचित है? क्या आस्था इतनी गहरी हो सकती है कि एक अपराधी के लिए भी वह पत्नी व्रत निभाए? यह घटना परंपरा और आधुनिक सोच के टकराव की प्रतीक बनकर सामने आई है। एक तरफ जहां कानून व्यवस्था दोषियों को दंडित करने में लगी है, वहीं दूसरी तरफ पत्नियों की धार्मिक आस्था उन्हें देवता मानती है।
पत्नी की उपस्थिति से पति में बदलाव की संभावना
वह दृश्य जितना भावनात्मक था, उतना ही प्रेरणादायक भी। जब विक्की यादव ने देखा कि उसकी पत्नी, समाज की परवाह किए बिना थाने में उसके लिए व्रत लेकर आई है, तो ऐसा लगा मानो उसे अपनी गलती का एहसास हो गया हो। लोगों का मानना है कि शायद यह दृश्य उसके जीवन को एक नई दिशा दे सकता है और वह आगे कोई अपराध नहीं करेगा।
वट सावित्री व्रत — एक आस्था, एक प्रेरणा
इस घटना ने यह सिद्ध कर दिया कि भारतीय स्त्रियों की आस्था और श्रद्धा में अपार शक्ति होती है। चाहे परिस्थिति कैसी भी हो, एक पत्नी अपने पति के लिए देवता समान भावना रखती है। यह न केवल प्रेम का प्रतीक है, बल्कि समाज के लिए एक संदेश भी है कि आत्मिक संबंधों की शक्ति कितनी महान होती है।