मुंगेर में पहाड़ियों की तराई में स्थित गर्म जल का कुंड ऋषिकुंड तीर्थस्थल बिहार ही नही दूसरे राज्यों में भी काफी मशहूर है। यहां ठंड के मौसम और नए साल के उपलक्ष में नहाने और पिकनिक मनाने वालों का हजारों की संख्या में भिड़ जुटा रहता है। ऐसा मान्यता है कि इस कुंड में स्नान करने व इसका पानी पीने से कैंसर और कुष्ठ रोग भी दूर हो जाते हैं। लेकिन सरकार के द्वारा अभी तक इसे पर्यटल स्थल घोषित नहीं किया गया है। जिससे यहां के लोगों को अभी इसे पर्यटल स्थल घोषित किए जाने का इंतजार है।
रिपोर्ट – रोहित कुमार
दरअसल बिहार का मुंगेर जिला कई मायनों में ऐतिहासिक जिला है. यहां बंदूक बनाने वाली फैक्ट्री से लेकर कई दर्शनीय एवं रहस्यमय स्थल हैं. यह मुगल और ब्रिटिश दौर की धरोहरों को सहेज कर रखने वाला एक ऐतिहासिक जिला भी है. वैसे तो मुंगेर में दर्जनों पर्यटक स्थल हैं। जहां सैलानियों के लिए आश्चर्यचकित करने वाला अनेकों दृश्य हैं. जिसे देखने के लिए दूर-दूर लोग यहां आते है. जब आप इस जिले में घूमने के ख्याल से आएंगे तो कई चीजें आपको हैरान कर देगी. लेकिन आज आपको एक ऐसे ही एक स्थल से रूबरू कराते हैं, जहां कई मायनों में बेहद खास है। यहां सालभर लाखों की संख्या में पर्यटक आते हैं. खासकर ठंड के दिनों में दिसंबर से जनवरी के दौरान यहां बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं. यहां पहुंचकर वह पहाड़ों से निकलने वाले गर्म पानी के कुंड में स्नान का आनंद उठाते हैं. जी हां हम बात कर रहे है पहाड़ों की तराई में बसा ऋषिकुंड की।
जो मुंगेर जिला मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूर पहाड़ों की गोद एवं खूबसूरत वादियों के बीच बसा ऋषिकुंड कई मायनों में बेहद खास है। इस स्थान का नाम प्रसिद्ध ऋषि श्रृंग के नाम पर रखा गया है। मुंगेर के ऐतिहासिक धरोहरों में से एक है ये ऋषिकुंड। यहां प्रत्येक तीन साल में मलमास के शुभ अवसर पर यहां मेला लगता है. जिसमें श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटती है। इस कुंड में भू-गर्भ में गंधक की मात्रा अधिक होने के कारण 24 घंटे गर्मजल की धारा प्रवाहित होती रहती है। ऋषिकुंड में पहाड़ों के तराई से सालों भर गर्म पानी निकलता है. यह पानी आसपास के इलाके को पार करते हुए बरियारपुर प्रखंड स्थित गंगा में जाकर प्रवाहित हो जाता। इस पानी से आसपास के किसान खेत पटवन के काम में भी उपयोग कर लेते है। इसके अलावा ऋषिकुंड का गर्म पानी को पीने के लिए भी लोग उपयोग में लाते है। इस कुंड का गर्म पानी जोकि पहाड़ के तराई से कई प्रकार के वृक्ष के जड़ों को छूते हुए निकलती है. जिस कारण यह पानी पीने से शरीर के कई तरह के बीमारियों को भी दूर करता है.
कहा जाता है कि इस कुंड में स्नान करने व इसका पानी पीने से कैंसर व कुष्ठ रोग समाप्त हो जाते हैं। पर्यटकों के बीच यहां का गर्म कुंड आकर्षण के केंद्र बिंदू में रहता है। ठंड के मौसम में इस ऋषिकुंड में स्नान करने के लिए दूर दराज से पर्यटक यहां आते हैं। साथ ही नए साल के मौके पर लोग यहां पिकनिक मनाने जरूर आते है। यहां पर एक डैम का निर्माण भी किया गया है जो इसकी खूबसूरती में चार चांद लगाता है। यहां स्थित कुंड जिसको लोग ऋषिकुंड के नाम से जानते हैं, यहीं भगवान शिव को समर्पित एक बहुत प्राचीन मंदिर है जो भक्तों के बीच काफी लोकप्रिय है। प्राकृतिक सौंदर्य के बीच गर्म जल के लिए प्रसिद्ध है ऋषिकुंड। पहाड़ की तराई से साल भर निकलने वाले गर्म जल से न सिर्फ लोग स्नान करते हैं, बल्कि इसका सेवन कर खुद को स्वस्थ भी रखते हैं। यहां आने के लिए लोग निजी वाहन का उपयोग करते हैं।
वही बताते चलें कि लोग इसे पर्यटक स्थल के रूप में भी जानते हैं. मगर आज तक धार्मिक स्थल को सरकार के द्वारा पर्यटल स्थल का दर्जा नहीं दिया गया है जिस कारण यह ऋषिकुंड अव्यवस्थित अवस्था में पड़ा हुआ है. जिसके कारण कुंड देखरेख के अभाव में आसपास काफी गंदगी पसरा हुआ रहता है. जिसे यहां के स्थानीय स्तर पर ही साफ सफाई किया जाता है. जबकि यहां पर्यटकों के ठहरने के साथ-साथ महिलाओं के कपड़े चेंजिंग के अलावा शौचालय का भी कोई व्यवस्था नहीं है. जिसके कारण यहां आने वाले सैलानियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वही यहां पिकनिक मनाने आए सैलानियों ने बताया कि हम लोग हर एक साल ठंड के दिनों में यहां आते हैं. प्रकृति की गोद में बसा यह ऋषिकुंड बहुत ही खूबसूरत जगह है. लेकिन यहां संसाधनों का घोर अभाव है जैसे कुंड के अगल-बगल बहुत ही गंदगी पड़ा रहता है इसे साफ सफाई करने के लिए कोई नहीं है साथ ही साथ ठहरने व कपड़ा चेंजिंग के अलावा शौचालय की भी यहां कोई व्यवस्था नहीं है। सैलानियों ने सरकार से मांग किया कि यहां ठहरने की व्यवस्था की जाए और कपड़ा चेंजिंग के अलावा शौचालय की व्यवस्था की जाए जिससे दूरदराज से आए आने वाले लोगों को सुविधा मिल सके। साथ ही सैलानियों ने ऋषिकुंड को पर्यटक स्थल घोषित करने की भी मांग की है