मुंगेर में बारिश का इंतजार कर रहे किसानों को हाथ लग रही मायूसी, पिछले कुछ दिनों से सूरज की तपिश से बेतहाशा गर्मी से बेहाल के साथ रोहिणी नक्षत्र बीतने के बाद अब मृगशिरा नक्षत्र भी शुरू हो गया है। लेकिन मौसम की बेरुखी जारी है। आसमान से बरस रहे आग और गिरते भूगर्भीय जल स्तर के कारण जिले में एक बार फिर से सुखाड़ की खतरा मंडराने लगा है।
रिपोर्ट – रोहित कुमार
दरअसल मुंगेर जिले में अब तक वर्षा नहीं हुई है। किसान वर्षा के लिए आसमान की ओर टकटकी लगाए हुए हैं। ऐसे में जिले में अभी तक कहीं भी खरीफ धान की बुआई शुरू नहीं हुई है। जिन किसानों को पटवन की सुविधा है वे भी अभी तक वर्षा की आस में हैं।विदित हो कि मुंगेर में सामान्यत: 15 जून से खरीफ फसलों की बुआई शुरू हो जाता है। लेकिन अब तक खेतों में बिचड़ा के लिए बीज भी नहीं गिराया गया है। जिससे इस खरीफ सीजन में किसानों को धान उत्पादन प्रभावित होने का भय अब सताने लगा है।
दरअसल किसान धान की खेती की शुरुआत रोहिणी नक्षत्र में शुरू करते हैं। प्री मानसून में पड़ने वाले रोहिणी नक्षत्र में ही किसान अपने अपने खेतों में बिचड़ा का आच्छादन करते हैं। परंतु इस वर्ष 25 मई को रोहिणी नक्षत्र शुरू होकर बीते जून माह भी खत्म होने को है ।लेकिन जिले में बेसबरी से बारिश का इंतजार कर रहे किसानों को मायूसी ही हाथ लगी। क्योंकि पोस्ट मानसून से लेकर प्री मानसून में बारिश की एक भी बूंद खेतों में नहीं पड़ी है। जिसके कारण बिचड़ा गिरने की बात तो दूर खेतों से धूल उड़ रहे हैं।
ऐसे में रोहिणी नक्षत्र बीत जाने के बाद भी जिले के एक भी किसान बिचड़ा का आच्छादन नही कर पाए हैं। किसानों ने बताया की खेतों में दरारें पड़ गई है। नमी बिलकुल भी नहीं है । जिस कारण किसान काफी चिंतित है ।जिला कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिले में कुल लगभग 36502 हेक्टेयर धान की खेती का लक्ष्य जिला कृषि विभाग की ओर से निर्धारित है। इसके साथ ही वर्षा के बिना पटवन के सहारे धान की खेती में लागत बढ़ने के डर से भी वे कृषि कार्य शुरू करने से रुके हुए हैं।
यदि जिले में समय पर यथोचित वर्षा नहीं हुई तो पिछले वर्ष की तरह ही इस वर्ष भी सुखाड़ की स्थिति उत्पन्न हो सकती है और जिला कृषि विभाग द्वारा धान की खेती के लिए निर्धारित लक्ष्य को पूरा नहीं जा सकेगा। वहीं कृषि पदाधिकारी ने बताया पिछले साल जिले के 101 पंचायत में 50 पंचायत के कई गांव सुखाड़ के चपेट में आ गए थे । इस बार भी मात्र साढ़े सात एकड़ में बिचड़ा लगाया गया । किसान अभी भी बारिश के इंतजार में है । आशा है की बारिश होगी तो किसान खेतों में बिचड़ा को गिरायेगें।