मुंगेर में DIG, DM व SP के समक्ष हार्डकोर नक्सली सूरज मुमू ने हथियार के साथ किया आत्मसमर्पण

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इस समय की सबसे बड़ी खबर मुंगेर से आ रही है जहां पूर्वी बिहार पूर्वोत्तर झारखंड स्पेशल एरिया कमिटी का हार्डकोर नक्सल सूरज मुर्मू पिता बड़कू मुर्मू ने अत्याधुनिक हथियार एसएलआर और 28 कारतूस के साथ आयुक्त मुंगेर , डीआईजी, डीएम और एसपी के समक्ष किया आत्मसमर्पण। 9 नक्सली कांडों का वांक्षित अभियुक्त था नक्सली सूरज मुर्मू।

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रिपोर्ट – रोहित कुमार

दरअसल मुंगेर जिला अंतर्गत जिला पुलिस एवं समादेष्टा 16 वाहिनी एसएसबी के द्वारा एएसपी अभियान के नेतृत्व में नक्सलियों को नक्सल छोड़ मुख्य धारा में लाने कार्यक्रम के तहत अपने प्रयास से पूर्वी बिहार पूर्वोत्तर झारखंड स्पेशल एरिया कमिटी का हार्डकोर नक्सली सूरज मुर्मू पिता बड़कू मुर्मू घर रारोडीह थाना खड़गपुर ने आज मुंगेर पुलिस लाइन में मुंगेर आयुक्त, डीआईजी, डीएम, एसपी और एसएसबी और सीआरपीएफ के समादेष्टा के समक्ष एक समारोह में अत्याधुनिक हथियार एसएलआर और 28 जिंदा कारतूस के साथ आत्मसमर्पण किया। अधिकारियों ने भी फूलों का माला पहना कर सम्मानित किया। नक्सली सूरज मुर्मू कुल 9 नक्सली कांडों जिसमे दोहरे हत्या से लेकर लेवी के लिए किडनैपिंग तक के मामले में नामजद अभियुक्त था। जिसकी तलाश पुलिस को काफी दिनो से थी। अपने संबोधन में आयुक्त मुंगेर संजय कुमार सिंह ने कहा की आज जो नक्सली सूरज मुर्मू ने नक्सलवाद को छोड़ मुख्य धारा में जुड़ने के लिए अपने हथियार और कारतूस के साथ समर्पण किया यह एक अच्छी पहल है। उनके पुर्नवासन योजना के तहत उन्हें अब कई सरकारी योजना का लाभ दिया जाएगा ताकि आने वाला दिन वे अपने परिवार के साथ शांतिपूर्ण ढंग से गुजार सके।

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वहीं डीआईजी संजय कुमार ने कहा की जिला अंतर्गत भीम बांध में जंगल जो नक्सलियों का सेफ जोन माना जाता था। अब जब सरकार और जिला प्रशासन के पहल पर भीम बांध फॉरेस्ट एरिया के अंदर और बाहर तीन तीन पुलिस कैंप के स्थापित होने के बाद नक्सलियों की कमर ही टूट गई है। जिसके बाद अब नक्सलियों के पास दो ही विकल्प बचा या तो वे सरेंडर करे या फिर एनकाउंटर के लिए तैयार रहें। साथ ही जिला पुलिस प्रशासन ,जिला प्रशासन के साथ साथ सीआरपीएफ , एसएसबी के पहल पर अब नक्सली मुख्यधार में जुड़ने को लेकर आगे आ रहे है और इसी का परिणाम है कि आज हार्डकोर नक्सली ने आत्मसमर्पण किया। इस मामले में आत्मसर्पण नक्सली ने बताया की जब वे 20 से 22 साल का था और जंगल में लकड़ी काटने जाता था तो उसी समय नक्सलियों के द्वारा उसे ले जाया गया और तब से ही नक्सली बन गए।जहां हथियार चलाने कि ट्रेनिंग भी दी गई। साथ ही कहा की जंगल का जीवन और शहरी जीवन में काफी फर्क है। वे जब से नक्सली ज्वाइन किए तब से अब तक घर नहीं आए थे। अब उसने आत्मसमर्पण कर दिया है तो काफी अच्छा लग रहा है। साथ ही कहा की अन्य नक्सलियों से भी वे चाहते है की मुख्यधारा से जुड़े और अपने जीवन को बेहतर ढंग से जिए।

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