बिहार का मुंगेर प्राचीन नाम मुद्गलपुरी जहां रामायण काल से जुड़ी कई स्थल आज भी है मौजूद। इसी कड़ी में सीताकुंड जहां मां सीता ने दिया था अग्नि परीक्षा वहां बना है गर्म जल धारा का कुंड। बिहार में पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता है। पौराणिक मान्यता से जुड़े होने के कारण बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं और सीताकुंड के गर्म जल में स्नान कर यहां के मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं। यहां एक माह तक चलने वाला माघी मेला का होता है आयोजन।
रिपोर्ट – रोहित कुमार
दरअसल मुंगेर जिला मुख्यालय से लगभग 10 किलो मीटर दूर सदर प्रखंड में अवस्थित सीताकुंड मंदिर की की जन श्रुति त्रेतायुग की कथा जुड़ी है। धार्मिक मान्यता है कि मां सीता ने इसी जगह अग्नि परीक्षा दी थी। मान्यता के अनुसार जब राम रावण का वध कर अयोध्या वापस लौटे थे तब। उन्हें ब्रह्मण हत्या का पापा लगा था। तब भगवान राम को कुंबोधर ऋषि ने सलाह दी थी कि रावण के वध से आप को ब्राह्मण हत्या का पाप लगा है। सारे तीर्थ स्थलों का भ्रमण करने से ही इस पाप से मुक्ति मिल सकती है। जिसके बाद राम सीता के साथ अपने अन्य तीन भाई लक्षण, भरत और शत्रुघ्न के साथ मुंगेर पहुंच मुद्गल ऋषि के आश्रम में रुके थे वही मुद्गल आश्रम वर्तमान में सीताचरण मंदिर एवं कष्टहरणी घाट के रूप में प्रसिद्ध है।
यहां मां सीता ने छठ व्रत किया था। मान्यता के अनुसार पुजारी नागेंद्र कुमार मिश्र ने बताया कि मुद्गल आश्रम में ऋषियों ने सभी के हाथों प्रसाद ग्रहण किया, लेकिन रावण द्वारा हरण किए जाने के कारण सीता के हाथ से प्रसाद ग्रहण नहीं किया। वहीं ऋषियों के द्वारा कहे जाने के बाद मां सीता ने इसी जगह पर अग्नि कुंड बना अग्नि परीक्षा देकर अपनी पवित्रता सिद्ध की थी। और उसी कुंड में अपने पसीने का तीन बंद छिड़क उस अग्नि कुंड को गर्म जलधारा के कुंड में परिवर्तित कर दिया था। जिसमें आज भी पवित्र गर्म जल प्रवाहित हो रहा है। इसके अलावा यहां अन्य चार कुंड भी बने है जिसे भगवान राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न ने अपने बाणों से बनाया था।
आश्चर्य तो यह है की सीताकुंड के आसपास होने के बाबवजूद इन कुंडों का जल बिलकुल ठंडा रहता है। वही मुंगेर गजेटियर में भी सीता कुंड की चर्चा सीता के अग्नि परीक्षा स्थल के रूप में को गई है। सीताकुंड में एक माह तक चलने वाला माघी मेला का आयोजन होता है । मुस्लिम समुदाय के लोग भी इस मेले को सफल बनाने में अपना पूरा योगदान देते दिखते हैं. जिसके कारण सीताकुंड का माघी मेला सांप्रदायिक सौहार्द का मिशाल पेश कर रहा है. इस मेले की एक और खासियत है की यहां सस्ते कीमतों में फर्नीचर खरीदने के लिए साल भर लोग सीताकुंड के माघी मेला का इंतजार करते हैं.
लकड़ी के बने फर्नीचरों की खरीदारी भी शुरू हो गयी है. खाली मैदान में 10 से 15 बड़े लकड़ी के कारोबारियों ने बाजार लगाया है। माघी मेला जो इस बार 4 फरवरी को शुरू होगा यहां मुंगेर ही नही बल्की आस पड़ोस के जिलों से भी लोग भारी संख्या में पहुंचते है। यहां लोग पूजा अर्चना के साथ साथ बच्चों का मुंडन और भी करवाया जाता है। बीएम अमरेश, दिलीप मंडल ने बताया की अभी तक सीताकुंड के विकास कोले कोई खास पहल नहीं किया गया है। अगर इसे पर्यटक स्थल के रूप में पूर्ण विकसित कर दिया जाय तो आस पास के कई लोगों को रोजगार मिल जायेगा।