मुंगेर में गुरु पूर्णिमा के अवसर पर शहर के विभिन्न गंगा घाटों पर गंगा स्नान करने को लेकर श्रद्धालुओं की उमड़ी भारी भीड़। सुरक्षा को लेकर सभी गंगा घाटों पर मोटर बोट के साथ गोताखोर की हुई है प्रतिनियुक्ति। गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है. । गुरु पूर्णिमा पर गंगा स्नान का है काफी महत्व। जिसको लेकर सुबह से ही गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं की उम्र रही है भीड़।
रिपोर्ट – रोहित कुमार
दरअसल मुंगेर में हिंदू धर्म का सबसे खास दिन आषाढ़ पूर्णिमा है. इसे गुरु पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. आज के दिन शिष्य अपने गुरुओं को सम्मान देते हैं. गुरु की पूजा करते हैं. माना जाता है कि आज के दिन ही महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था. इस अवसर पर मुंगेर जिला अंतर्गत, कष्टहरणी घाट , बबुआ घाट , सोझीं गंगा घाटों के अलावा अन्य कई घाटों पर भक्तों ने आस्था की डुबकी लगाई. आज के दिन लोगों गंगा घाटों पर स्नान कर अपने गुरुओं की पूजा अर्चना करते है और उसके बाद दिन दुखियों को दान भी देते है।
गंगा घाट के महंत एकलव्य दास ने बताया की हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, आषाढ़ मास की पूर्णिमा के दिन महाभारत के रचयिता महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था. जिन्होंने महाभारत लिखकर हिंदुत्व के इतिहास में अहम भूमिका निभाई थी. ऐसे में उनके भक्तों द्वारा उनको गुरु मानकर उनकी पूजा की जाती है, इसलिए गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है. इस गंगा स्नान का बहुत ही बड़ा महत्व है । गंगा स्नान को ले घाटों पे सुरक्षा के विशेष इंतजामात किए गए है। गोताखोरों की टीम के अलावा पुलिस बल की भी तैनाती की है।