मुंगेर जिले में एक हृदयविदारक घटना सामने आई है, जहां पारिवारिक कलह और गरीबी से तंग आकर एक मां ने अपने चार नवजात बच्चों के साथ कीटनाशक जहर पी लिया। इस घटना से पूरे क्षेत्र में सनसनी फैल गई। बताया जा रहा है कि घर में माता-पिता और दादी के बीच हुए झगड़े के बाद महिला के पति ने दिल्ली कमाने जाने की बात कहकर घर छोड़ दिया। इस घटना से आहत होकर महिला ने दुकान से कीटनाशक खरीदा और पहले स्वयं उसे ग्रहण किया, फिर अपने चारों बच्चों को भी पिला दिया।
परिवार की आर्थिक स्थिति अत्यंत दयनीय
प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह परिवार अत्यंत गरीब तबके से आता है और मूल रूप से मुंगेर जिले के धरहरा प्रखंड के पचरूखी गांव का निवासी है। जमालपुर पीएचसी द्वारा जारी पर्ची के अनुसार जहर पीने वालों की पहचान जितेंद्र मंडल की 35 वर्षीय पत्नी ललिता देवी, 10 वर्षीय पुत्र अमित कुमार, 9 वर्षीय पुत्री चांदनी कुमारी, 4 वर्षीय पुत्री मानवी कुमारी और 1 वर्षीय काजल कुमारी के रूप में हुई है।
झगड़े के बाद हुई इस घटना ने सबको झकझोर दिया
जब यह परिवार बेहोशी की हालत में अस्पताल पहुंचा, तो उनके बारे में सही जानकारी नहीं मिल पाई। बताया जा रहा है कि एक टोटो चालक इन्हें जमालपुर पीएचसी तक लेकर आया और फिर वहां से चला गया। अर्धबेहोशी की स्थिति में 10 वर्षीय अमित कुमार ने डॉक्टरों को बताया कि सुबह घर में उसकी नानी, मां और पिता के बीच किसी बात को लेकर तीखा विवाद हुआ था। इसके बाद पिता गुस्से में घर छोड़कर यह कहते हुए निकल गए कि वे अब दिल्ली कमाने जा रहे हैं। पिता के जाने के बाद उनकी मां ने रोते हुए दुकान से एक शीशी खरीदी और पहले खुद जहर पी लिया, फिर अपने सभी भाई-बहनों को भी पिला दिया।
सदर अस्पताल में सभी का इलाज जारी
बेहोशी की हालत में परिवार के सभी सदस्यों को पहले जमालपुर पीएचसी में भर्ती कराया गया, जहां से प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें मुंगेर सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया। बुधवार की दोपहर करीब 3 बजे, जब एंबुलेंस से मां और उसके चारों बच्चों को अस्पताल लाया गया, तो अस्पताल परिसर में अफरा-तफरी मच गई। चिकित्सकों ने तत्काल सभी का उपचार शुरू किया। इमरजेंसी वार्ड में मौजूद डॉक्टर हर्षवर्धन ने सबसे पहले महिला और उसके बच्चों का प्राथमिक उपचार किया, जिसके बाद चारों नवजात बच्चों को पिकू वार्ड भेज दिया गया।
चिकित्सकों की देखरेख में उपचार जारी
पिकू वार्ड में अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. रमण कुमार की देखरेख में बच्चों का इलाज चल रहा है। वहीं, महिला को इमरजेंसी वार्ड में रखा गया है, जहां उसकी स्थिति गंभीर बनी हुई है। डॉक्टरों के अनुसार, समय पर इलाज मिलने से इनकी जान बच सकती है, लेकिन स्थिति अभी भी नाजुक बनी हुई है। अस्पताल प्रशासन के अनुसार, चूंकि इनके साथ कोई परिजन मौजूद नहीं है, इसलिए उपचार में कुछ परेशानियां भी आ रही हैं।
स्थानीय प्रशासन व समाजसेवियों से मदद की अपील
इस घटना के बाद स्थानीय प्रशासन और समाजसेवियों से अपील की जा रही है कि वे इस परिवार की मदद के लिए आगे आएं। गरीबी और पारिवारिक कलह से तंग आकर आत्महत्या जैसे कदम उठाना एक गंभीर समस्या बनती जा रही है, जिस पर प्रशासन को ध्यान देने की आवश्यकता है। पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है और महिला के पति का पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है।
गरीबी और मानसिक तनाव से आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ रही है
इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि गरीबी और पारिवारिक तनाव लोगों को मानसिक रूप से तोड़ सकता है, जिससे वे आत्महत्या जैसे कदम उठाने पर मजबूर हो जाते हैं। समाज के हर वर्ग को इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए आगे आना चाहिए और प्रशासन को भी इस दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हो।
फिलहाल, महिला और उसके बच्चों की हालत गंभीर बनी हुई है और पूरा क्षेत्र उनकी सलामती की प्रार्थना कर रहा है।