प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि योजना के तहत दवा दुकान खुलवाने के नाम पर साइबर ठगों ने बिहार के मुंगेर जिले के एक व्यक्ति से एक लाख उन्नतीस हजार रुपये ठग लिए। पीड़ित व्यक्ति ने मुंगेर एसपी से न्याय की गुहार लगाई और साइबर थाना में शिकायत दर्ज करवाई। पुलिस ने इस मामले में जांच शुरू कर दी है।
ठगी का पूरा मामला
मुंगेर जिले के तारापुर थाना क्षेत्र के मोहनगंज निवासी कैलाश भगत को साइबर ठगों ने प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि योजना के नाम पर धोखा देकर बड़ी रकम ठग ली। यह मामला तब शुरू हुआ जब कैलाश भगत ने एक दैनिक अखबार में प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि योजना के तहत दवा दुकान खोलने का विज्ञापन देखा। विज्ञापन देखकर उन्होंने ऑनलाइन आवेदन किया। आवेदन करने के कुछ दिनों बाद, 5 फरवरी को उन्हें एक कॉल आया, जिसमें उनसे रजिस्ट्रेशन शुल्क के रूप में 4,999 रुपये ऑनलाइन भुगतान करने को कहा गया।
लगातार बढ़ती रकम
कैलाश भगत ने पहली बार मांगी गई रकम का भुगतान कर दिया, जिसके बाद उनसे बार-बार विभिन्न शुल्कों के नाम पर पैसे मांगे गए। सात अलग-अलग चरणों में उनसे कुल 1.29 लाख रुपये ऑनलाइन ट्रांसफर करवा लिए गए। ठगों ने उन्हें आश्वस्त किया कि उनकी दवा दुकान के लिए माल ट्रक से भेजा जा रहा है।
अंतिम कॉल और ठगी का एहसास
18 फरवरी को कैलाश भगत को एक फोन आया, जिसमें खुद को ट्रक चालक बताने वाले व्यक्ति ने कहा कि उनका ट्रक रास्ते में पकड़ा गया है और उसे छुड़ाने के लिए 50,000 रुपये की आवश्यकता होगी। इस पर कैलाश भगत को शक हुआ और उन्होंने पैसे देने से इनकार कर दिया। इसके बाद वे मामले की सच्चाई जानने के लिए मुंगेर डीआईओ कार्यालय पहुंचे। वहां उन्हें पता चला कि वे साइबर ठगी के शिकार हो चुके हैं।
पुलिस में शिकायत और कार्रवाई
ठगी का एहसास होने के बाद कैलाश भगत ने साइबर थाना में लिखित शिकायत दर्ज कराई। लेकिन जब उनकी शिकायत पर कोई त्वरित कार्रवाई नहीं हुई, तो उन्होंने 10 मार्च को मुंगेर एसपी से मामले में हस्तक्षेप की गुहार लगाई। इसके बाद 19 मार्च को साइबर थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई।
पुलिस की जांच और अपील
इस मामले की जांच के लिए साइबर थाना की टीम सक्रिय हो गई है। साइबर थाना अध्यक्ष डीएसपी कुमारी सिया भारती ने बताया कि मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। जिस बैंक खाते में ठगी की राशि ट्रांसफर की गई थी, उसे फ्रीज करवा दिया गया है। उन्होंने जनता से अपील की कि किसी भी ऑनलाइन विज्ञापन या योजना की पूरी जांच-पड़ताल करने के बाद ही कोई आर्थिक लेन-देन करें, ताकि वे साइबर ठगी का शिकार होने से बच सकें।