मुंगेर में बीडीओ और आवास सहायक से अभद्र व्यवहार, मुखिया प्रतिनिधि गिरफ्तार

Share With Friends or Family

मुंगेर जिले में प्रधानमंत्री आवास योजना की जांच के दौरान एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। सदर प्रखंड के प्रखंड विकास पदाधिकारी (बीडीओ) और आवास सहायक जब महोली पंचायत के वार्ड नंबर 7 में जांच के लिए पहुंचे, तो वहां उनके साथ अभद्र और अपमानजनक व्यवहार किया गया। यह व्यवहार किसी आम व्यक्ति द्वारा नहीं, बल्कि मुखिया प्रतिनिधि के द्वारा किया गया, जिसने न केवल गाली-गलौज की बल्कि सरकारी कार्य में सीधा हस्तक्षेप करते हुए धमकी भी दी।

जांच के दौरान बीडीओ और आवास सहायक पर हमला

दरअसल, 5 जून को डीडीसी (उप विकास आयुक्त) के निर्देश पर प्रधानमंत्री आवास योजना की जांच की जा रही थी। इस योजना के अंतर्गत मिलने वाले लाभार्थियों की सूची में गड़बड़ी की शिकायत के बाद बीडीओ और आवास सहायक ने मौके पर पहुंचकर वास्तविकता जाननी चाही। जैसे ही वे महोली पंचायत के वार्ड नंबर 7 में पहुंचे, वहां पहले से ही मौजूद मुखिया प्रतिनिधि विधान कुमार ने उन्हें फोन पर धमकाना शुरू कर दिया।

इसके बाद वह मौके पर स्वयं पहुंचे और आवास सहायक को पकड़ते हुए कहा कि “बिना हमारे बताए यहां क्यों आए हो?” इतना ही नहीं, उन्होंने सरकारी कर्मियों के साथ खुलेआम गाली-गलौज किया और कॉलर पकड़कर धमकी दी कि “अगर दोबारा यहां आए तो अंजाम बुरा होगा”।

सरकारी कार्य में बाधा डालने का मामला दर्ज

इस घटना के बाद बीडीओ ने इसे बहुत गंभीरता से लिया और तुरंत मुफस्सिल थाना में जाकर एक लिखित शिकायत दर्ज करवाई। उन्होंने बताया कि यह न केवल एक अपमानजनक अनुभव था, बल्कि इससे सरकार की योजनाओं की निष्पक्ष जांच में भी बाधा उत्पन्न हुई। यह एक स्पष्ट उदाहरण है कि कुछ जनप्रतिनिधि किस प्रकार अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर रहे हैं।

इसे भी पढ़ें :  मुंगेर में कुली पति की बेवफा पत्नी आशिक संग फरार, सदमे में पति अस्पताल में भर्ती

बीडीओ की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने मुखिया प्रतिनिधि विधान कुमार के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया, जिसमें सरकारी कार्य में बाधा, सरकारी अधिकारी से दुर्व्यवहार और धमकी देना शामिल है।

गिरफ्तारी और आगे की कार्रवाई

शिकायत दर्ज होने के बाद मुफस्सिल थाना पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए मुखिया प्रतिनिधि को गिरफ्तार कर लिया और उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। पुलिस ने इस मामले की पूरी गंभीरता से जांच शुरू कर दी है और यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि ऐसे किसी भी जनप्रतिनिधि को कानून हाथ में लेने की अनुमति न दी जाए।

इस गिरफ्तारी के बाद प्रशासनिक महकमे में हलचल मच गई है और स्थानीय लोगों के बीच भी चर्चा का विषय बन गया है। लोगों का कहना है कि जो व्यक्ति खुद जनसेवा के लिए चुना गया है, अगर वही सरकारी योजनाओं की निष्पक्षता में रुकावट बने, तो आम जनता तक योजनाओं का लाभ कैसे पहुंचेगा?

प्रशासन का सख्त रुख

जिला प्रशासन ने इस घटना को बेहद गंभीरता से लिया है। अधिकारियों ने यह स्पष्ट किया है कि प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी महत्वाकांक्षी योजनाओं में कोई भी राजनीतिक दबाव या हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सरकार का स्पष्ट निर्देश है कि जो भी सरकारी कर्मचारी अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं, उन्हें पूरा सहयोग मिलना चाहिए। इस प्रकार की घटनाएं न केवल योजनाओं की सफलता में बाधा डालती हैं बल्कि कानून व्यवस्था पर भी प्रश्नचिह्न खड़ा करती हैं।

Share With Friends or Family

Leave a Comment