मुंगेर में इन दिनों गर्मी अपने चरम पर है। सूरज जैसे आग उगल रहा हो और लू की लपटों ने आम जनजीवन को बेहाल कर दिया है। तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से भी ऊपर पहुंच चुका है। ऐसे में लोगों के लिए घर से बाहर निकलना किसी चुनौती से कम नहीं। लेकिन ज़रूरी काम तो रुकते नहीं, इसलिए लोग मजबूरन झुलसती धूप में घरों से बाहर निकल रहे हैं।
राहत की तलाश में शीतल पेय की ओर रुझान
गर्मी से राहत पाने के लिए लोग तरह-तरह के उपाय अपना रहे हैं। इन उपायों में सबसे लोकप्रिय है ठंडे और प्राकृतिक शीतल पेय पदार्थों का सेवन। मुंगेर की गलियों, चौक-चौराहों और बाजारों में इन दिनों आम और बेल के शरबत की खूब मांग है। लोग इन्हें न केवल प्यास बुझाने के लिए, बल्कि शरीर को ठंडक पहुंचाने के लिए भी बड़े चाव से पी रहे हैं।
लाल बाबा का शरबत: स्वाद और पहचान का संगम
इन सभी शरबत वालों में एक नाम सबसे ज्यादा चर्चित है — लाल बाबा। मुंगेर के जुबलीवेल चौक पर लाल बाबा का ठेला हर साल गर्मी की शुरुआत के साथ दिखाई देने लगता है। लाल रंग की पगड़ी, सफेद कुर्ता और मुस्कान से भरा चेहरा – यही पहचान है लाल बाबा की। उनकी दुकान जितनी अनोखी है, उतना ही अनोखा है उनका शरबत।
अनोखे स्वाद का रहस्य
लाल बाबा आम और बेल के शरबत को खास तरीके से तैयार करते हैं। बर्फ से ठंडे पानी में बेल और आम का गूदा मिलाकर एक खास अनुपात में चीनी, काला नमक और नींबू का रस मिलाया जाता है। यह शरबत न केवल स्वाद में लाजवाब होता है, बल्कि शरीर को तत्काल राहत भी देता है। ग्राहकों का कहना है कि एक गिलास पीते ही शरीर में ठंडक उतर आती है और पसीने से तर-बतर शरीर को सुकून मिलता है।
वर्षों पुरानी परंपरा
लाल बाबा की यह दुकान कोई नई नहीं है। यह एक पुरानी और परंपरागत दुकान है, जो हर साल गर्मियों में लोगों को राहत देती आ रही है। लोग कहते हैं कि बचपन से वे इस दुकान से शरबत पीते आ रहे हैं। जैसे ही गर्मी दस्तक देती है, लाल बाबा अपने ठेले को ताजे आम और बेल से सजा कर निकल पड़ते हैं जुबलीवेल चौक की ओर।
लोगों का प्यार और समर्थन
मुंगेर के निवासी लाल बाबा को बहुत पसंद करते हैं। उनका सरल व्यवहार, स्वादिष्ट शरबत और गर्मी से राहत देने का यह तरीका लोगों के दिल को छू जाता है। कई लोग तो सिर्फ लाल बाबा का शरबत पीने के लिए दूर-दूर से आते हैं। बच्चों से लेकर बूढ़ों तक, सभी को यह शरबत खूब भाता है।