बिहार के जमुई जिले में बीते शुक्रवार देर रात एक बारात के दौरान हर्ष फायरिंग की घटना ने खुशी के माहौल को मातम में बदल दिया। बारात में शामिल एक व्यक्ति को गोली लगने से अफरा-तफरी मच गई। घायल व्यक्ति की पहचान रिटायर्ड शिक्षक मुरलीधर के रूप में हुई है, जिन्हें गंभीर हालत में इलाज के लिए पहले जमुई और फिर मुंगेर के आपातकालीन अस्पताल में भर्ती कराया गया। घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और जांच में जुट गई है।
शादी की खुशी में चली गोली, रिटायर्ड शिक्षक घायल
घटना खैरा थाना क्षेत्र के भौंर गांव की है, जहां बांका जिले के चिंटू नामक युवक की बारात जमुई पहुंची थी। चिंटू की शादी गोपाल सिंह की बेटी से हो रही थी। बारात जब गांव के शिव-पार्वती मंदिर के पास पहुंची, तो डीजे की धुन पर बाराती झूम रहे थे। इसी दौरान कुछ अराजक तत्वों ने हर्ष फायरिंग शुरू कर दी। बारात में शामिल 64 वर्षीय मुरलीधर के बाएं पैर में गोली लग गई, जिसके बाद वे वहीं गिर पड़े और शादी का माहौल हड़कंप में बदल गया।
घायल को मुंगेर अस्पताल में कराया गया भर्ती
स्थानीय लोगों ने तत्काल घायल मुरलीधर को जमुई के निजी अस्पताल में भर्ती कराया, लेकिन स्थिति गंभीर होने के कारण उन्हें मुंगेर के इमरजेंसी अस्पताल भेजा गया। फिलहाल उनकी हालत नाजुक बताई जा रही है और डॉक्टरों की टीम उनका इलाज कर रही है।
घायल का बयान – ‘किसने चलाई गोली, नहीं देखा’
घायल मुरलीधर ने बताया कि वे पश्चिम बंगाल के आसनसोल के निवासी हैं और चिंटू के पिता स्वर्गीय दिनेश प्रसाद के रिश्तेदार हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने 2 से 3 राउंड गोलियों की आवाज सुनी थी, पर गोली किसने चलाई, यह वे नहीं देख सके। उन्होंने यह भी कहा कि अब युवाओं को जागरूक होना चाहिए और इस तरह की खतरनाक हरकतों से बचना चाहिए, क्योंकि एक छोटी सी गलती किसी की जान ले सकती है।
पुलिस कर रही जांच, परिजनों ने बयान देने से किया इनकार
सूचना मिलते ही सफियाबाद थाना पुलिस मुंगेर इमरजेंसी अस्पताल पहुंची और घायल एवं उसके परिजनों से पूछताछ करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने किसी भी प्रकार का बयान देने से इनकार कर दिया। पुलिस अब आस-पास के लोगों से पूछताछ कर रही है और हर्ष फायरिंग करने वालों की पहचान की कोशिश कर रही है।
हर्ष फायरिंग पर नहीं थम रही बेपरवाही
इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि लोग अब भी हर्ष फायरिंग जैसे खतरनाक चलन से सबक नहीं ले रहे हैं। कई बार प्रशासन की सख्ती के बावजूद ऐसी घटनाएं दोहराई जा रही हैं, जो कभी खुशी को मातम में बदल देती हैं। ज़रूरत है कि समाज और प्रशासन मिलकर ऐसी घटनाओं पर रोक लगाने के लिए ठोस कदम उठाएं।