मुंगेर बीआरएम कॉलेज द्वारा अपने छात्रों को भीम बांध का किराया भ्रमण, छात्रों को दी गई यह महत्वपूर्ण जानकारी

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मुंगेर जिले में स्थित बीआरएम महाविद्यालय ने अपने छात्राओं को एक विशेष शैक्षणिक भ्रमण पर ले जाकर न केवल शिक्षा से जुड़ा अनुभव प्रदान किया, बल्कि उन्हें प्रकृति और इतिहास से जुड़ने का भी अवसर दिया। इस भ्रमण का आयोजन मुंगेर जिले के हवेली खगड़पुर प्रखंड में स्थित प्रसिद्ध पर्यटन स्थल भीमबांध में किया गया, जो अपने नैसर्गिक सौंदर्य, दुर्लभ जीव-जंतुओं, पेड़-पौधों और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के लिए जाना जाता है।

छात्राओं का अनुभव और सहभागिता

इस भ्रमण में महाविद्यालय के विभिन्न विभागों की छात्राओं ने भाग लिया। छात्राएं भीमबांध पहुंचने के बाद वहां के प्राकृतिक सौंदर्य, जलस्रोतों और वन्य जीवों को देखकर अत्यंत उत्साहित और अभिभूत रहीं। उन्होंने वहां की जैव विविधता, विशेषकर दुर्लभ पेड़-पौधों और जीव-जंतुओं के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त की। छात्राओं ने यह अनुभव किया कि यह स्थान केवल पर्यटन के लिहाज से ही नहीं, बल्कि शैक्षणिक अध्ययन और अनुसंधान के दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

शिक्षकों और अधिकारियों की उपस्थिति

इस भ्रमण कार्यक्रम में बीआरएम महाविद्यालय की भौतिकी विभाग की एनसीसी एएनओ लेफ्टिनेंट डॉ. कुमारी नेहा, जन्तुविज्ञान विभाग के डॉ. सौरव बिरला, संगीत विभाग के डॉ. मित्युंजय कुमार मिश्रा, बंगाली विभाग के प्रो. अमरेश दास तथा महाविद्यालय के क्लर्क गोपाल कुमार की विशेष उपस्थिति रही। इनके साथ-साथ एनसीसी की कई कैडेट्स तथा अन्य छात्राएं भी बड़ी संख्या में इस भ्रमण में शामिल हुईं। सभी ने मिलकर इस भ्रमण को सफल और उपयोगी बनाने में योगदान दिया।

भीमबांध की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

शिक्षकों ने छात्राओं को बताया कि भीमबांध एक प्रसिद्ध वन्य अभ्यारण्य है, जो बिहार राज्य के मुंगेर जिले के हवेली खगड़पुर अंचल में स्थित है। इस स्थान को लेकर एक पौराणिक मान्यता है कि महाभारत काल में पांडवों में से एक, भीम ने यहां एक बांध का निर्माण किया था, जिसे आज ‘भीमबांध’ के नाम से जाना जाता है। यह स्थान आज भी उस ऐतिहासिक कथा को जीवित रखता है और दर्शकों को अपने अतीत की झलक दिखाता है।

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वन्य जीवन और प्राकृतिक संसाधन

भीमबांध वन्य अभ्यारण्य में विभिन्न प्रकार के वन्य जीव जैसे व्याघ्र (बाघ), तेंदुआ, भालू, लंगूर आदि पाए जाते हैं। इसके अलावा यहां पाए जाने वाले प्राकृतिक गर्म जलस्रोत इसे सर्दियों के मौसम में एक आकर्षक पर्यटन स्थल बना देते हैं। इन गर्म जलकुंडों की विशेषता यह है कि इनमें साल भर गर्म पानी प्रवाहित होता रहता है, जो शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक माना जाता है। यही कारण है कि सर्दी के मौसम में यहां सैलानियों की अच्छी-खासी भीड़ देखने को मिलती है।

पर्यटन की संभावनाएं

छात्राओं ने भ्रमण के दौरान यह भी महसूस किया कि भीमबांध क्षेत्र में पर्यटन को और अधिक विकसित किया जा सकता है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता, जैविक विविधता और ऐतिहासिक महत्व मिलकर इसे एक पूर्ण पर्यटन स्थल बनने की संभावना प्रदान करते हैं। यदि राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन मिलकर यहां उचित सुविधाओं का विकास करें, तो यह क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर अपनी जगह बना सकता है।

शिक्षकों की भूमिका और मार्गदर्शन

भ्रमण के दौरान उपस्थित सभी शिक्षकों ने न केवल छात्राओं का मार्गदर्शन किया, बल्कि उन्हें क्षेत्र की ऐतिहासिक, भौगोलिक और पारिस्थितिक विशेषताओं के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने छात्राओं को प्रकृति के संरक्षण का महत्व समझाया और यह भी बताया कि किस प्रकार शिक्षा के साथ-साथ प्रकृति से जुड़ना हमारे संपूर्ण विकास के लिए आवश्यक है।

निष्कर्ष

बीआरएम महाविद्यालय द्वारा आयोजित यह शैक्षणिक भ्रमण छात्राओं के लिए एक प्रेरणादायक और ज्ञानवर्धक अनुभव रहा। न केवल उन्होंने भीमबांध की ऐतिहासिकता और प्राकृतिक सौंदर्य को नजदीक से देखा, बल्कि पर्यटन की संभावनाओं और जैव विविधता के महत्व को भी समझा। ऐसे भ्रमण न केवल विद्यार्थियों की बौद्धिक उन्नति में सहायक होते हैं, बल्कि उन्हें अपने आसपास के पर्यावरण के प्रति भी जागरूक बनाते हैं।

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