मुंगेर में डायल 112 ने बचाई जान, अस्पताल में नहीं मिली रैबीज की सुई

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मुंगेर में डायल 112 आमजनों के बीच हुआ काफी लोकप्रिय, जहां अस्पताल में जब मरीज को कुत्ते के काटने के बाद नहीं मिली सुई तो मरीज ने स्वास्थ महकमा के आला अधिकारी को कॉल करने की जगह डायल 112 को किया कॉल। जहां 112 ने तत्परता दिखाते हुए मरीज के सहायता के लिए पहुंचे अस्पताल।

घटना का विवरण: पागल कुत्ते का हमला

मुंगेर जिले के जमालपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत रामपुर कॉलोनी निवासी 20 वर्षीय प्रिंस कुमार के साथ एक भयावह हादसा हुआ। रविवार के दिन जब वह सड़क पर चल रहा था, तभी अचानक एक पागल कुत्ते ने उस पर हमला कर दिया और काट लिया। इस हमले से डरे-सहमे प्रिंस ने तुरंत उपचार के लिए मुंगेर सदर अस्पताल का रुख किया।

अस्पताल में इलाज की स्थिति

प्रिंस को विश्वास था कि सरकारी अस्पताल में उसे उचित और त्वरित इलाज मिलेगा, लेकिन हकीकत इससे विपरीत निकली। चूंकि वह दिन रविवार था, अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में रैबीज रोधी इंजेक्शन उपलब्ध नहीं था। डॉक्टरों ने साफ शब्दों में कहा कि रविवार को स्टॉक उपलब्ध नहीं रहता और उन्हें सुई नहीं दी जा सकती। प्रिंस ने अस्पताल में मौजूद चिकित्सकों से बार-बार विनती की, लेकिन उसे केवल निराशा हाथ लगी।

डायल 112: आम जनता की नई उम्मीद

आमतौर पर इस प्रकार की परिस्थिति में लोग स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश करते हैं, लेकिन घबराहट और असमंजस में प्रिंस ने एक अनोखा निर्णय लिया। उसने सीधे डायल 112 पर कॉल किया और अपनी स्थिति से अवगत कराया। आश्चर्यजनक रूप से, डायल 112 की टीम ने बिना समय गंवाए अस्पताल का रुख किया और तुरंत इमरजेंसी वार्ड पहुँचकर वहां मौजूद डॉक्टरों से बात की।

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112 की तत्परता और मानवता की मिसाल

डायल 112 की टीम ने न केवल प्रिंस की बात गंभीरता से सुनी, बल्कि अस्पताल प्रशासन से बातचीत कर उन्हें स्थिति की गंभीरता से अवगत कराने की कोशिश की। यह कार्यवाही यह दर्शाती है कि डायल 112 केवल अपराध या सुरक्षा मामलों तक सीमित नहीं है, बल्कि जीवनरक्षक स्थितियों में भी उसकी भूमिका सराहनीय है। दुर्भाग्यवश, डॉक्टरों ने नियमों और साप्ताहिक अवकाश का हवाला देकर सहायता करने से इनकार कर दिया।

स्वास्थ्य तंत्र की पोल खोलती यह घटना

यह घटना जहां एक ओर पुलिस सेवा की सतर्कता को दर्शाती है, वहीं दूसरी ओर हमारे स्वास्थ्य तंत्र की कमजोरियों को भी उजागर करती है। जिस समय रैबीज जैसी घातक बीमारी का खतरा हो, उस समय यदि अस्पताल में आवश्यक टीका न मिले तो यह अत्यंत चिंताजनक है। यह लापरवाही एक गंभीर स्वास्थ्य संकट को जन्म दे सकती थी।

प्रिंस की व्यथा: एक आम नागरिक की पीड़ा

प्रिंस कुमार ने बताया कि वह काफी भयभीत हो गया था। जब डॉक्टरों ने इलाज देने से इनकार कर दिया और कहा कि बिना इंजेक्शन के गंभीर परिणाम हो सकते हैं, तो वह पूरी तरह घबरा गया। उसके पास कोई दूसरा विकल्प न था, इसलिए उसने पुलिस सहायता नंबर 112 पर फोन किया। हालांकि डायल 112 की टीम ने अपनी ओर से हर संभव प्रयास किया, लेकिन अंत में प्रिंस को इंजेक्शन के बिना ही घर लौटना पड़ा।

जनता में बढ़ता भरोसा डायल 112 पर

इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि मुंगेर सहित अन्य जिलों में डायल 112 आम जनता के लिए एक भरोसेमंद विकल्प बनता जा रहा है। अब लोग केवल अपराध या आपराधिक घटनाओं के लिए नहीं, बल्कि स्वास्थ्य संबंधी संकट की स्थिति में भी डायल 112 को अपनी प्राथमिकता बना रहे हैं। इसका प्रमुख कारण है—उनकी त्वरित प्रतिक्रिया, मानवीय संवेदना और हर परिस्थिति में मदद की भावना।

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