मुंगेर में श्रीकृष्ण सेतू स्पैन लोड टेस्ट पूरा, वैज्ञानिकों की टीम जांच में जुटी

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मुंगेर में आज एक बड़ी तकनीकी गतिविधि देखने को मिली, जब चेन्नई स्थित सीएसआईआर-एसईआरसी (CSIR-SERC) के पांच सदस्यीय वैज्ञानिकों की टीम ने श्रीकृष्ण सेतु के मुंगेर छोर के स्पैन पर लोड टेस्ट किया। यह परीक्षण एनएचएआई (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) और रेलवे के बीच तकनीकी विवाद की पृष्ठभूमि में आयोजित किया गया है। रेलवे द्वारा उठाई गई आपत्तियों के बाद यह लोड टेस्ट आवश्यक हो गया था।

किन वैज्ञानिकों ने की जांच?

इस टीम में वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. श्रीवासन बेंगू, डॉ. सप्तऋषि सवंल, डॉ. एम. कुम्मु स्वामी, डॉ. अरुण कुमार और तकनीकी विशेषज्ञ दीपक कुमार शामिल थे। ये सभी वैज्ञानिक पूर्वाह्न 11 बजे मुंगेर पहुंचे और श्रीकृष्ण सेतु पर लोड टेस्ट की प्रक्रिया आरंभ की। इन वैज्ञानिकों ने अपने तकनीकी उपकरणों के माध्यम से सेतु की भार सहने की क्षमता को परखा।

कैसे हुआ लोड टेस्ट?

लोड टेस्ट की प्रक्रिया बेहद तकनीकी और सावधानीपूर्वक की गई। कुल 9 ट्रकों को, जिनमें प्रत्येक में 14 चक्के थे, 49 टन का भार डालकर पुल पर चलाया गया। इस दौरान वैज्ञानिकों ने स्पैन (पाया) के पास अचानक ब्रेक लगवाकर झटका (जर्क) उत्पन्न किया और देखा कि उसका पुल पर क्या प्रभाव पड़ा। विशेष मशीनरी और सेंसरों की सहायता से स्पैन पर पड़े लोड का आंकलन किया गया।

लगभग पांच घंटे तक चला यह परीक्षण अत्यंत बारीकी से किया गया, जिसमें स्पैन पर पड़ने वाले दबाव और कंपन को मापा गया। इस ऑटोमेटेड जांच प्रक्रिया में कई सेंसर, डेटा लॉगर और इन्फ्रारेड तकनीक का उपयोग किया गया।

क्यों जरूरी हुआ यह लोड टेस्ट?

बताया जा रहा है कि एनएचएआई द्वारा पहले से ही पुल का डिज़ाइन 40 टन भार वहन क्षमता के अनुसार कराया गया था और इसे एक निजी कंपनी द्वारा जांच के बाद रेलवे को सौंप भी दिया गया था। लेकिन रेलवे ने आपत्ति जताते हुए कहा कि एनएचएआई द्वारा बनाए गए डिज़ाइन और भार क्षमता के आंकड़े स्पैन के लिए पर्याप्त नहीं हैं।

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रेलवे ने चिंता जताई थी कि सड़क पुल पर ओवरलोडेड वाहन चलने से रेलवे पुल के स्पैन पर दबाव पड़ रहा है। यही कारण था कि रेलवे ने किसी अधिकृत तकनीकी एजेंसी से जांच की मांग की। इसके बाद एनएचएआई ने चेन्नई की प्रतिष्ठित तकनीकी संस्था CSIR-SERC से जांच करवाई।

आगे क्या होगा?

7 जून को इसी तरह का लोड टेस्ट श्रीकृष्ण सेतु के खगड़िया वाले छोर पर किया जाएगा। इसके बाद वैज्ञानिकों की यह टीम एक महीने के भीतर अपनी विस्तृत जांच रिपोर्ट तैयार करेगी और एनएचएआई तथा रेलवे के हाजीपुर मंडल को सौंपेगी।

एनएचएआई के सहायक अभियंता सह प्रोजेक्ट इंचार्ज नीतीश कुमार ने बताया कि यह जांच रेलवे की शिकायत के बाद करवाई जा रही है। उन्होंने यह भी बताया कि जनवरी 2025 में सर्दियों के मौसम में पहली जांच पूरी की जा चुकी है, जिसकी रिपोर्ट रेलवे को पहले ही सौंप दी गई थी। अब गर्मी के मौसम में दोबारा जांच की जा रही है ताकि मौसमी प्रभावों का आंकलन किया जा सके।

 

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