मन में आस्था हो तो दिव्यांगता भी आपके राह को नहीं रोक पाएगा। ऐसा ही एक उदाहरण मुंगेर कच्ची कांवरिया पथ पर देखने को मिला। जब दोनों पांव से दिव्यांग प्रमोद बम 105 किलो मीटर जमीन पर बैठेकर हाथों के सहारे बाबाधाम देवघर जा रहे है।
दोनों पैरों से दिव्यांग फिर भी 5 सालों से जा रहे हैं बाबा धाम
दरअसल महादेव के दर तक पहुंचने की मन में सच्ची लगन हो तो शारीरिक दिव्यांगता भी उसे रोक नहीं पाती है। इसका एक बेहतरीन उदाहरण मुंगेर के कच्ची कांवरिया पथ पर देखने को मिला। जब मुंगेर के दिलबरपुर बाड़ा निवासी 40 वर्षीय प्रमोद कुमार साहनी जो दोनों पांव से पूरी तरह दिव्यांग है वे लगातार पांचवे साल सुल्तानगंज से जल भरकर 105 किलोमीटर की यात्रा बिना किसी सहारे के कर रहे रहे है। वे पूरी कांवरिया पथ पर जमीन पर बैठकर दोनों हाथों के सहारे अपने शरीर को आगे बढ़ाते हुए निरंतर आगे बढ़ते जा रहे है ।
लोगों में बना प्रेरणा का स्रोत
उन्हें देखकर हर लोग भी अचंभित हुए बिना नहीं रह पाते है कि इतनी लंबी यात्रा वे कैसे पूरा करेंगे । उन्होंने ने बताया कि उनका दोनों पांव बचपन से की दिव्यांग है । पांच साल पहले मन में आस्था जागी कि वे भी अन्य समान लोगों की तरह ही अपने दम पर बाबाधाम जायेगें। जिसके बाद वे सुल्तानगंज पहुंचकर जल भरकर बिना किसी सहारे के वे बाबाधाम की और अपने हाथों के सहारे शरीर को आगे बढ़ाते बढ़ाते 7 दिनों में वे बाबाधाम पहुंचकर बाबा को जल अर्पित कर देंगे।
इस तरह वे लगातार पांचवे साल भी मन में बाबा के प्रति आस्था रख दियांगता को दर किनार करते हुए बाबा की राह में निरंतर आगे बढ़ते जा रहे है।