कद से भी लंबा जटा, 60 वर्ष के सकलदेव टुडू की जटा देख हर कोई हैरान, जानिए यह जटा वाले बाबा की यह अनोखी कहानी

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इंसान कभी-कभी अपने अजीब शौक और कारनामों से अपनी अलग पहचान बना लेता है। उसी में से मुंगेर के एक व्यक्ति अपने बाल के कारण काफी सुर्खियां में है। जिले के हवेली खड़गपुर प्रखंड के छोटे से गांव डांगरा के रहने वाले सकलदेव टुडू को गांव और आसपास के लोग उनके लंबे जटा से ही जानते हैं। और प्यार से लोग उन्हें जटा वाले बाबा भी कहते हैं।

अक्सर इंसान अपने अजीब शौक और अनोखे कारनामों की वजह से दुनिया में अपनी अलग पहचान बना लेता है। ऐसा ही एक दिलचस्प और प्रेरणादायक किस्सा है हवेली खड़गपुर प्रखंड के छोटे से गांव ढ़ंगड़ा का, जहां रहने वाले सकलदेव टुड्डू अपनी असाधारण जटा के कारण चर्चा का केंद्र बने हुए हैं। गांव और आसपास के इलाके में लोग सकलदेव को जटा वाले बाबा या महात्मा कहकर पुकारते हैं। लगभग 60 वर्षीय सकलदेव टुड्डू की जटा इतनी अद्भुत और विशाल है कि जो भी पहली बार उन्हें देखता है, दांतों तले उंगली दबा लेता है। उनकी जटा की लंबाई उनके कद से भी ज्यादा है। जहां उनका कद लगभग पांच फीट आठ इंच है, तो वहीं उनकी जटा सात फीट तीन इंच लंबी है। उनकी यह जटा देखने में बिल्कुल पवित्र और रहस्यमयी लगती है।

बचपन से ही था लंबे बालों का शौक

सकलदेव टुड्डू को बचपन से ही लंबे बाल रखने का शौक था। जब उनके उम्र के बच्चे छोटे-छोटे बालों में खुश रहते थे, तब सकलदेव अपने बालों को बढ़ने देते थे। बचपन से ही बालों के प्रति उनका लगाव इतना गहरा था कि कभी उन्हें बाल कटवाने का मन ही नहीं हुआ। हालांकि शुरुआत में उनके परिवार वालों ने उन्हें कई बार बाल कटवाने की सलाह दी, लेकिन सकलदेव ने अपनी जिद नहीं छोड़ी। और लगभग 25 साल की उम्र में उनके जीवन में एक ऐसा मोड़ आया जिसने उनकी किस्मत बदल दी। उस समय उन्होंने कुछ महीनों तक अपने बाल नहीं कटवाए। और एक सुबह जब वह नींद से जागे तो उन्होंने अपने बालों में एक खास बदलाव देखा। उनके बाल अपने आप आपस में जुड़कर जटा का रूप ले चुके थे। यह नज़ारा देखकर वे खुद भी चौंक गए।

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पूरे गांव में फैली चमत्कार की खबर

जब यह खबर गांव में फैली कि सकलदेव के बालों में अपने आप जटा बन गई है, तो लोग इसे चमत्कार मानने लगे। धीरे-धीरे आसपास के गांवों से लोग उन्हें देखने आने लगे। ग्रामीणों का मानना था कि यह कोई सामान्य बात नहीं, बल्कि भगवान की कृपा का परिणाम है। गांव के बुजुर्गों और महिलाओं ने सकलदेव को सलाह दी कि वे कभी अपने बाल न कटवाएं। लोगों की आस्था और विश्वास देखकर सकलदेव ने भी यह मान लिया कि उनकी जटा किसी दिव्य शक्ति का प्रतीक है। इसी दिन से उन्होंने अपनी जटा को बढ़ने देना शुरू किया। और पिछले 35 वर्षों से यह जटा लगातार बढ़ रही है और आज यह सकलदेव की सबसे बड़ी पहचान बन चुकी है। उनकी जटा इतनी लंबी है कि इसे खुला रखकर चलना उनके लिए मुश्किल हो जाता है। इसीलिए वह इसे हमेशा खास तरीके से संभालकर सर पर ही रखते हैं।

सकलदेव जटा का देखभाल में रखते हैं खास ध्यान

इतनी लंबी जटा की देखभाल करना आसान काम नहीं है। लेकिन सकलदेव इसे बेहद प्यार और श्रद्धा के साथ सहेजते हैं। वह समय-समय पर जटा की सफाई और पूजा करते हैं। उनका मानना है कि यह सिर्फ बाल नहीं बल्कि भगवान शिव का आशीर्वाद है। वह इसे किसी गहने या संपत्ति से भी ज्यादा कीमती मानते हैं। सकलदेव कहते हैं कि उनकी जटा में कोई समस्या नहीं होती और यह उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है। ग्रामीणों में सकलदेव को लेकर गहरी आस्था है। बहुत से लोग उन्हें भगवान शिव का अवतार मानते हैं। जब भी गांव में कोई परेशानी होती है, तो लोग सकलदेव के पास सलाह लेने या आशीर्वाद लेने पहुंचते हैं। गांव के लोग मानते हैं कि उनकी जटा में दिव्य शक्ति है। यही कारण है कि लोग उन्हें महात्मा कहकर भी बुलाते हैं। कई लोग तो उनके चरण स्पर्श कर आशीर्वाद भी लेते हैं।

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वन विभाग में संविदा पर कार्यरत है सकलदेव

सकलदेव टुड्डू का पेशेवर जीवन भी उतना ही साधारण है जितना उनका व्यक्तित्व। वे वन विभाग में संविदा पर कार्यरत हैं। दिनभर का काम करने के बाद वह घर लौटते हैं और अपनी जटा की देखभाल करते हैं। वह कहते हैं कि उनकी जटा ही उनकी सबसे बड़ी पूंजी और पहचान है। जब लोग उन्हें जटा वाले बाबा कहकर पुकारते हैं तो उन्हें गर्व का अनुभव होता है। सकलदेव की जटा सिर्फ उनके लिए ही नहीं, बल्कि पूरे गांव के लिए आस्था और विश्वास का प्रतीक बन गई है। लोग दूर-दूर से उन्हें देखने आते हैं। कुछ लोग उनकी जटा को छूकर अपने जीवन में सुख और समृद्धि की कामना करते हैं।

मुंगेर का यह छोटा सा गांव आज सकलदेव टुड्डू की वजह से पहचान बना रहा है। उनकी सात फीट से ज्यादा लंबी जटा न सिर्फ एक आश्चर्य है बल्कि आस्था और अध्यात्म की गहराई का प्रतीक भी है।

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