मुंगेर कच्ची कांवरिया पथ पर एक ऐसा भी धर्मशाला देखने को मिला जो एक वृद्ध दंपत्ति ने अपनी बेटी की याद में बनाया है। जहां बाबाधाम जाने वाले कांवरियों के लिए रहने से लेकर खाने तक सब मुफ्त में उपलब्ध करवाया जाता है। यहां वृद्ध दंपत्ति खुद 24 घंटे कांवरियों की सेवा में लगे रहते है।
दरअसल मुंगेर जिला अंतर्गत कच्ची कांवरिया पथ पर स्थित गोविंदपुर के पास एक अनोखी धर्मशाला श्रद्धा और सेवा की मिसाल पेश कर रही है। यह धर्मशाला न सिर्फ कांवरियों के लिए विश्रामस्थल है, बल्कि एक भावनात्मक कहानी भी समेटे हुए है। बिहार के सहरसा निवासी वृद्ध दंपत्ति गोपाल झा और उनकी पत्नी सुनीता देवी ने इसे अपनी बेटी प्रियंका की याद में बनवाया है, जिनका निधन मात्र 21 वर्ष की आयु में हो गया था। इसके बाद बेटी की मृत्यु के पश्चात उपजे वियोग ने इस दंपति को शिव भक्ति की तरफ मोड़ दिया और वे 9 वर्षों से कांवरियों की सेवा कर रहे हैं। वही सेवा कर रहे बुद्ध दंपति ने बताया कि बेटी प्रियंका होनहार छात्रा थीं और डॉक्टर बनने का सपना देखती थीं। बीएससी पार्ट-टू की पढ़ाई के दौरान उसकी असमय मृत्यु ने अपने माता-पिता की दुनिया ही उजाड़ दी। उनके निधन के बाद लगा कि अब जीने का कोई उद्देश्य नहीं है जिसके बाद हम दोनों पति-पत्नी ने शिव भक्ति का सहारा लिया और हर महीने पैदल कावड़ यात्रा कर देवघर जाने लगे। रास्ते में कांवरिया की परेशानी को देखकर धर्मशाला निर्माण की इच्छा हुई। जिसमें बेटी की शादी और पढ़ाई के लिए जमा पूंजी तथा कुछ जमीन बेचकर गोविंदपुर में कांवरिया पथ पर जमीन खरीदी और एक धर्मशाला का निर्माण करवाया।
यह धर्मशाला बीते 9 वर्षों से कांवरियों की निःस्वार्थ सेवा में समर्पित है। यहां रुकने वाले श्रद्धालुओं को मुफ्त में भोजन, नाश्ता, जलपान, गर्म पानी, फल, शरबत सहित कई सुविधाएं दी जाती हैं। खासतौर पर डाक बम कांवरियों के लिए विशेष शिविर भी लगाए जाते हैं। और गोपाल झा और सुनीता देवी स्वयं अपने सहयोगियों के साथ दिन-रात सेवा में लगे रहते हैं। उनका कहना है कि बेटी की असामयिक मृत्यु के बाद जीवन का उद्देश्य खो गया था, लेकिन अब शिवभक्तों की सेवा ही उनका संबल बन गई है।
यह धर्मशाला आज श्रद्धालुओं के लिए न केवल विश्राम का स्थान है, बल्कि एक प्रेरणास्रोत भी है जो बताता है कि दुःख को भी सेवा में बदला जा सकता है।
