मुंगेर में मंत्री के सभा के दौरान आशा कार्यकर्ताओं ने स्वास्थ मंत्री मंगल पाण्डेय का किया घेराव। अपनी मांगों से मंत्री को कराया अवगत। इस दौरान आशा कर्मियों का पुलिस के साथ हुआ तेज नोक झोक। आशा कर्मियों ने एक दरोगा का पकड़ा कॉलर। जमकर हुआ हंगामा। सदर अस्पताल परिसर में अफरातफरी बना रहा माहौल।
यह घटना तब घटी जब मंत्री कार्यक्रम खत्म कर निकलने की तैयारी कर रहे थे। आशा कार्यकर्ता पिछले कई महीनों से मानदेय में बढ़ोतरी और स्थाईकरण जैसी मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं। आज उन्होंने मंत्री को इन मांगों से अवगत कराने का प्रयास किया, जो एक हंगामेदार मोड़ में बदल गया।
आशा कार्यकर्ताओं ने सौंपा मांग पत्र
स्वास्थ्य मंत्री के मुंगेर आगमन की सूचना मिलते ही जिले की अनेक आशा कार्यकर्ता सदर अस्पताल परिसर में इकट्ठा हो गईं। आशा संघ की जिलाध्यक्ष उषा देवी के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने मंत्री को मांग पत्र सौंपा और अपनी लंबे समय से लंबित मांगों को तत्काल मानने की अपील की। मंत्री ने ज्ञापन स्वीकार करते हुए आश्वासन दिया कि उनकी मांगों पर विचार किया जाएगा।
मंत्री के आश्वासन के बावजूद नहीं माने कार्यकर्ता
हालांकि मंत्री मंगल पांडे द्वारा आश्वासन दिए जाने के बावजूद, आशा कार्यकर्ता तत्काल निर्णय की मांग पर अड़ी रहीं। उन्होंने मंत्री से उसी समय कोई ठोस घोषणा करने की जिद की और घेराव को और सघन कर दिया। यह घेराव इतनी तेजी से बढ़ा कि कार्यक्रम स्थल पर उपस्थित पुलिस बल को हस्तक्षेप करना पड़ा।
पुलिस और आशा कार्यकर्ताओं में हुई झड़प
जब मंत्री जी भीड़ को देखकर अपनी गाड़ी की ओर बढ़े, तब आशा कार्यकर्ताओं ने उनका रास्ता रोकने की कोशिश की। पुलिस ने उन्हें हटाने की कोशिश की, लेकिन इस दौरान कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच तीखी बहस और धक्का-मुक्की शुरू हो गई। बताया जा रहा है कि एक गुस्साई आशा कार्यकर्ता ने एक पुलिस पदाधिकारी का कॉलर तक पकड़ लिया। यह दृश्य देखते ही देखते हंगामे में बदल गया और कुछ देर के लिए पूरा परिसर तनावपूर्ण हो गया।
स्थिति पर नियंत्रण, पर गुस्सा बरकरार
पुलिस ने किसी तरह स्थिति को संभाला और मंत्री की गाड़ी को अस्पताल परिसर से सुरक्षित बाहर निकाल दिया गया। लेकिन आशा कार्यकर्ता वहीं डटी रहीं और सरकार के प्रति नाराजगी जाहिर करती रहीं। आशा संघ की अध्यक्ष ने मीडिया को बताया कि वे सिर्फ मंत्री को ज्ञापन देने गई थीं, लेकिन सुरक्षाकर्मियों द्वारा रोके जाने और अपमानित किए जाने के चलते कार्यकर्ताओं का गुस्सा फूट पड़ा।
स्थानीय प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग पर सवाल
इस पूरी घटना ने न केवल जिला प्रशासन की तैयारी पर सवाल खड़े कर दिए, बल्कि यह भी स्पष्ट कर दिया कि आशा कार्यकर्ताओं की नाराजगी अब सिर्फ मांगों तक सीमित नहीं रही, बल्कि अब यह आंदोलन स्वरूप ले चुका है। स्वास्थ्य मंत्री के आश्वासन के बावजूद जब कोई ठोस घोषणा नहीं की गई, तो कार्यकर्ताओं का आक्रोश और गहरा हो गया।