मुंगेर जिला के शंकरपुर गांव से ताल्लुक रखने वाले अंकित आनंद ने अपने संघर्ष और मेहनत के बल पर वह कर दिखाया जो लाखों युवाओं का सपना होता है। संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की प्रतिष्ठित सिविल सेवा परीक्षा 2024 में उन्होंने 663वीं रैंक हासिल कर न सिर्फ अपने परिवार बल्कि पूरे जिले का नाम गर्व से ऊँचा कर दिया है। अंकित की यह सफलता हर उस युवा के लिए प्रेरणा है जो कठिनाइयों से घबराए बिना अपने लक्ष्य की ओर निरंतर बढ़ता है।
खुशियों की लहर दौड़ी मुंगेर में
जैसे ही UPSC परिणाम की घोषणा हुई और अंकित आनंद के IAS बनने की खबर फैली, मुंगेर जिले में खुशी की लहर दौड़ गई। खासकर शंकरपुर गांव और गायत्री नगर में जश्न का माहौल बन गया। स्थानीय लोग, जनप्रतिनिधि, और राजनेता बड़ी संख्या में अंकित के घर पहुंचे। सभी ने उन्हें फूलों के गुलदस्ते और मिठाइयों से सम्मानित किया। हर कोई इस ऐतिहासिक पल का गवाह बनना चाहता था। गांव के बुजुर्गों से लेकर बच्चों तक में उत्साह था कि उनके गांव का एक बेटा अब देश की सबसे बड़ी सेवा में नियुक्त हुआ है।
पारिवारिक पृष्ठभूमि और शिक्षा का सफर
अंकित आनंद के पिता, बीरेंद्र यादव, एक अवकाश प्राप्त बैंक अधिकारी हैं। वे मूल रूप से शंकरपुर के निवासी हैं लेकिन अब गायत्री नगर में भी आवास बना लिया है। अंकित की प्रारंभिक शिक्षा पटना के डीएवी स्कूल से हुई। उसके बाद उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। पढ़ाई के दौरान ही अंकित ने ठान लिया था कि उन्हें सिविल सेवा में जाना है। उन्होंने UPSC की तैयारी शुरू कर दी और लगातार चार बार असफलता का सामना किया।
संघर्ष से सफलता तक
चार बार असफल होने के बाद भी अंकित ने हार नहीं मानी। उनका आत्मविश्वास और दृढ़ निश्चय उन्हें बार-बार खड़ा करता रहा। आखिरकार पांचवें प्रयास में उन्हें सफलता मिली और 663वीं रैंक के साथ वह IAS अधिकारी बनने में सफल रहे। यह उनकी मेहनत, लगन और आत्मसंयम का परिणाम है। अंकित का कहना है कि असफलता केवल एक पड़ाव होती है, जो हमें सीखने का अवसर देती है और हमें और मजबूत बनाती है।
युवाओं को प्रेरित करता संदेश
अंकित ने अपनी सफलता के बाद युवाओं के लिए खास संदेश दिया। उन्होंने कहा, “कभी भी हार न मानें। हर असफलता के पीछे एक सीख छुपी होती है। अगर आप मेहनत और ईमानदारी से काम करते हैं तो सफलता जरूर मिलेगी।” उनका यह संदेश उन सभी युवाओं के लिए है जो बार-बार असफलता का सामना कर रहे हैं लेकिन हिम्मत नहीं हार रहे।
पिता का गर्व और भावनात्मक क्षण
अंकित के पिता बीरेंद्र यादव ने कहा कि यह पल उनके जीवन का सबसे गौरवपूर्ण क्षण है। उन्होंने बताया कि बचपन से ही अंकित पढ़ाई में गंभीर और आत्मनिर्भर था। वे हमेशा अपने बेटे को प्रोत्साहित करते रहे और उसकी मेहनत में विश्वास रखते थे। उन्होंने अन्य अभिभावकों को भी सलाह दी कि बच्चों पर शुरू से ही ध्यान देना चाहिए और उनका हौसला बढ़ाते रहना चाहिए।
गांव और जिले का बढ़ा मान
शंकरपुर गांव के लोगों ने बताया कि आज अंकित ने पूरे गांव का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है। उनके इस उपलब्धि से गांव के अन्य बच्चे भी प्रेरित होंगे और उच्च लक्ष्य की ओर कदम बढ़ाएंगे। यह सफलता न केवल एक व्यक्ति की है, बल्कि यह पूरे समाज की सामूहिक जीत है।
उत्सव जैसा माहौल
अंकित आनंद के मुंगेर लौटने पर उनके स्वागत के लिए पूरा गांव एकजुट हो गया। गायत्री नगर स्थित उनके आवास पर बधाई देने वालों का तांता लग गया। मिठाइयों का वितरण हुआ, पटाखे फोड़े गए और ढोल-नगाड़ों के साथ जश्न मनाया गया। हर व्यक्ति की जुबान पर बस एक ही नाम था – “अंकित आनंद, IAS अधिकारी।”
अंतिम विचार: एक प्रेरणास्रोत का उदय
अंकित आनंद की कहानी बताती है कि अगर इरादे मजबूत हों, तो कोई भी बाधा हमें रोक नहीं सकती। उनकी सफलता एक मिसाल है जो यह दिखाती है कि गांव से निकलकर भी कोई बच्चा राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना सकता है। मुंगेर और बिहार को ऐसे होनहार सपूतों पर गर्व है।