महाशिवरात्रि पर मुंगेर के विभिन्न शिव मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी।

Share With Friends or Family

मुंगेर जिले के विभिन्न शिव मंदिरों में आज महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी है। भक्तों का उत्साह और आस्था देखते ही बनती है, जो भगवान शिव की पूजा-अर्चना के लिए दूर-दूर से आए हैं। मंदिरों में सुबह से ही लंबी कतारें लगी हुई हैं, जहां स्त्री, पुरुष, युवा सभी स्नान कर भगवान शिव का जलाभिषेक करने के लिए एकत्रित हुए हैं।

तारापुर के रणगांव मंदिर में विशेष आयोजन

तारापुर स्थित अति प्राचीन रणगांव मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ विशेष रूप से उल्लेखनीय है। यहां सुबह से ही भक्तों की लंबी कतारें देखी गईं, जो भगवान शिव के स्पर्श पूजन के लिए उत्सुक थे। मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश के लिए भी भक्तों को इंतजार करना पड़ा, लेकिन उनकी आस्था में कोई कमी नहीं आई। मंदिर प्रशासन ने भीड़ को नियंत्रित करने और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विशेष इंतजाम किए हैं, जिससे भक्तों को किसी प्रकार की असुविधा न हो।

रत्नेश्वर नाथ महादेव मंदिर: छोटी देवघर की महिमा

मुंगेर जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित श्रीश्री 108 रत्नेश्वर नाथ महादेव मंदिर, जिसे छोटी देवघर के नाम से भी जाना जाता है, में भी महाशिवरात्रि के अवसर पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी है। मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण स्वयं भगवान विश्वकर्मा ने किया था। यहां भक्तों का तांता लगा हुआ है, जो भगवान शिव का जलाभिषेक और पूजा-अर्चना करने के लिए आए हैं। मंदिर परिसर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं, ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की कठिनाई न हो।

इसे भी पढ़ें :  भाजपा सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल कंधे पर कांवड़ लिए पैदल चले बाबाधाम, उन्होंने कहा कच्ची कांवरिया पथ एनडीए सरकार की ही देन है, मार्ग में जो सुविधा होनी चाहिए वह नहीं है

रत्नेश्वर नाथ महादेव मंदिर की विशेषताएँ

तारापुर अनुमंडल के रणगांव में स्थित बाबा रत्नेश्वर नाथ महादेव मंदिर अति प्राचीन शिव मंदिरों में से एक है। मान्यता है कि रत्नेश्वर महादेव की पूजा से भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है और कुष्ठ रोग से मुक्ति मिलती है। यही कारण है कि यहां कुष्ठ रोगी भी पूजा करने आते हैं। मंदिर की आकृति और प्रांगण का स्वरूप बाबाधाम और बासुकीनाथ से मिलता-जुलता है, जिससे लोग इसे सिद्ध पीठ मानते हैं। मंदिर के उत्तर में स्थित शिवगंगा में श्रद्धालु स्नान करने के बाद पूजा-अर्चना करते हैं, जिससे उनकी आस्था और भी प्रगाढ़ होती है।

उल्टानाथ तारापुर में भक्तों का सैलाब

तारापुर के श्रीश्री 108 तारकेश्वर नाथ मंदिर, जिसे उल्टानाथ तारापुर के नाम से भी जाना जाता है, में भी महाशिवरात्रि के अवसर पर भक्तों की भारी भीड़ देखी जा रही है। यहां भगवान शिव की बारात बड़े स्तर पर निकाली जाती है, जिसमें स्थानीय लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। मंदिर परिसर में सुरक्षा और व्यवस्था के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं, ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो।

सुरक्षा और व्यवस्था के विशेष इंतजाम

महाशिवरात्रि के अवसर पर मुंगेर जिले के सभी प्रमुख शिव मंदिरों में सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए गए हैं। पुलिस बल और स्वयंसेवकों की तैनाती की गई है, जो भीड़ को नियंत्रित करने और व्यवस्था बनाए रखने में सहयोग कर रहे हैं। मंदिर प्रशासन ने भीड़ प्रबंधन के लिए विशेष उपाय किए हैं, जिससे श्रद्धालुओं को सुगमता से दर्शन और पूजा करने का अवसर मिल सके।

इसे भी पढ़ें :  मुंगेर में जल्द शुरू होगी हवाई सेवा, सरकार ने स्वीकृत किए 25 करोड रुपए

महाशिवरात्रि की महिमा

महाशिवरात्रि हिंदू धर्म में भगवान शिव की आराधना का प्रमुख पर्व है। इस दिन भक्त उपवास रखते हैं, रात्रि जागरण करते हैं और भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था, इसलिए इस दिन का विशेष महत्व है। मुंगेर जिले के शिव मंदिरों में इस पर्व की धूमधाम और भक्तों की आस्था देखते ही बनती है, जो भगवान शिव के प्रति अपनी श्रद्धा और प्रेम प्रकट करने के लिए एकत्रित हुए हैं।

स्थानीय संस्कृति और परंपराओं का संगम

महाशिवरात्रि के अवसर पर मुंगेर जिले के शिव मंदिरों में न केवल धार्मिक उत्साह देखा जाता है, बल्कि स्थानीय संस्कृति और परंपराओं का भी संगम होता है। भक्तजन पारंपरिक वेशभूषा में सज-धज कर मंदिरों में आते हैं, भजन-कीर्तन और धार्मिक गीतों का आयोजन करते हैं, जिससे वातावरण भक्तिमय हो जाता है। स्थानीय बाजारों में भी रौनक बढ़ जाती है, जहां पूजा सामग्री, प्रसाद और अन्य वस्तुओं की खरीदारी के लिए लोग उमड़ते हैं।

निष्कर्ष

मुंगेर जिले के विभिन्न शिव मंदिरों में महाशिवरात्रि के अवसर पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ और उत्साह इस बात का प्रमाण है कि भगवान शिव के प्रति उनकी आस्था अटूट है। मंदिर प्रशासन और स्थानीय प्रशासन के सहयोग से सुरक्षा और व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं, जिससे भक्तजन बिना किसी कठिनाई के पूजा-अर्चना कर सकें। महाशिवरात्रि का यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि समाज में एकता, प्रेम और सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक भी है।

Share With Friends or Family

Leave a Comment