मुंगेर महोत्सव में पहुंचे बॉलीवुड के मशहूर गायक अल्ताफ राजा, उन्होंने सबसे फेवरेट गाना ‘ तुम तो ठहरे परदेसी साथ क्या निभाओगे, सुबह पहली गाड़ी से घर लौट जाओगे’ पर शहरवासियों झूमते नजर आए

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मुंगेर पहुंचे बॉलीवुड के मशहूर गायक अल्फाज राजा, उन्होंने मुंगेर महोत्सव सह स्थापना दिवस पर पोलो मैदान में आयोजित रंगारंग कार्यक्रम की पहली शाम बॉलीवुड के मशहूर गायक अल्ताफ राजा ने अपनी पसंदीदा गजलों की प्रस्तुति कर शहरवासियों का भरपूर मनोरंजन किया। वहा मौजूद DM नवीन कुमार SP जगुनाथ रेड्डी जला रेड्डी सहित अन्य पदाधिकारी के साथ-साथ दर्शक भी देर रात तक कार्यक्रम स्थल पर डटे रहे।

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रिपोर्ट – रोहित कुमार

दरअसल मुंगेर महोत्सव सह स्थापना दिवस पर पोलो मैदान में आयोजित तीन दिवसीय रंगारंग कार्यक्रम की पहली शाम बॉलीवुड के मशहूर गायक अल्ताफ राजा ने अपनी पसंदीदा गजलों की प्रस्तुति कर शहरवासियों का भरपूर मनोरंजन किया। उन्होंने सबसे पहले सबसे फेवरेट गाना ‘तुम तो ठहरे परदेशी साथ क्या निभाओगे, सुबह पहली गाड़ी से घर को लौट जाओगे’ प्रस्तुत किया तो वहां मौजूद दर्शकों के द्वारा तालियों की गड़गड़ाहट से उनका जोरदार उत्साहवर्द्धन करते हुए जमकर झूमते नजर आए। वही अल्ताफ राजा द्वारा एक से बढ़ कर एक गजल नुमा गीत की प्रस्तुति पर भव्य पंडाल में मौजूद जिला पदाधिकारी नवीन कुमार पुलिस अधीक्षक जगुनाथ रेड्डी जला रेड्डी नगर आयुक्त निखिल धनराज सहित अन्य पदाधिकारी सहित वहा मौजूद दर्शक भी देर रात तक कार्यक्रम स्थल पर डटे रहे। अल्ताफ राजा ने अपनी सबसे पसंदीदा गजल ‘दिल का हाल सुने दिलवाला’ गाकर सुरीली शाम का शुभारंभ किया। तत्पश्चात अपनी हिट एलबम के गीत ‘आवारा हवा का झोंका हूं’, ‘जा बेवफा जा हमें प्यार नहीं करना’, ‘हम वो दीवाने हैं जो ताजा हवाएं देते हैं’ की प्रस्तुति कर दर्शकों का देर रात तक भरपूर मनोरंजन किया।

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वही उन्होंने इससे पूर्व सर्किट हाउस में पत्रकारों से खास बातचीत में अल्ताफा राजा ने कहा कि मुंगेर महोत्सव सह स्थापना दिवस के मौके पर वह पहुंचे हैं। उन्होंने कहा कि मुंगेर में आज उनका दूसरी बार आना हुआ है इससे पहले 2016 को वह यहां कार्यक्रम करने के लिए आए थे। मुंगेर खासकर बिहार में कहीं भी प्रोग्राम करता हूं तो यहां के लोगों का खूब प्यार मिलता है। लोग दिल खोलकर दाद देते हैं। यहां के लोगों को शायरी और गीत संगीत की कद्र है। वह बताते हैं कि वो नागपुर में जन्म लिए। लेकिन फक्र से कह सकता हूं कि आज हिन्दुस्तानी संगीत अगर जिंदा है तो बिहार और यूपी के संगीतप्रेमी की बदौलत जिंदा है। उन्होंने कहा कि अल्ताफ का मतलब होता है खुशियां ही खुशियां। अपने नाम के अनुरूप ही लोगों के बीच खुशियां बेखरेने का काम करते हैं। उन्होंने मुंगेर को शुक्रिया अदा किया कि उसे दोबारा यहां आने का मौका मिला।

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