मुंगेर मॉडल अस्पताल की लिफ्टें खराब, मरीज और स्टाफ परेशान, व्यवस्थाओं की खुली पोल

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मुंगेर में हाल ही में स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय का दौरा हुआ था। मंत्री के आगमन पर 32 करोड़ रुपये की लागत से बनाए गए तीन मंजिला मॉडल अस्पताल का उद्घाटन धूमधाम से किया गया। 4 जून से इस अस्पताल में ओपीडी और इंडोर सेवाएं शुरू कर दी गईं। उम्मीद थी कि यह अस्पताल जिले की स्वास्थ्य सेवाओं को एक नई ऊंचाई देगा, लेकिन महज दो दिन के अंदर ही व्यवस्थाओं की असलियत सामने आ गई।

दोनों लिफ्ट बंद, मरीजों को हो रही है भारी परेशानी

अस्पताल में मरीजों और उनके परिजनों की सुविधा के लिए दो लिफ्ट लगाई गई थीं, जो अब पूरी तरह से बंद हो चुकी हैं। दोनों लिफ्ट शनिवार को अचानक खराब हो गईं। लिफ्ट बंद होने के कारण मरीजों को वार्ड से नीचे लाने में बहुत परेशानी हुई। खासकर गंभीर मरीजों, जिन्हें जांच या अल्ट्रासाउंड के लिए नीचे लाना था, उन्हें स्ट्रेचर या हाथों पर उठाकर लाया गया।

रैंप में भी जड़ा रहा ताला, बनी रही अफरातफरी

अस्पताल में मरीजों को ले जाने के लिए बनाए गए रैंप में भी ताला जड़ा पाया गया। यानी, न तो लिफ्ट चल रही थी, और न ही रैंप उपलब्ध था। ऐसे में परिजन और स्टाफ को मजबूरी में सीढ़ियों का सहारा लेना पड़ा। तीन मंजिला इमारत में ऊपर-नीचे आना जाना मुश्किल भरा रहा। मरीजों की हालत खराब होती रही और परिजनों के चेहरे पर गुस्सा साफ झलक रहा था।

बकरीद की छुट्टी, कोई वरिष्ठ पदाधिकारी नहीं रहा मौजूद

शनिवार को बकरीद का अवकाश होने के कारण अस्पताल का मैनेजर, उपाधीक्षक समेत कोई भी वरिष्ठ अधिकारी अस्पताल में उपस्थित नहीं था। पूरी व्यवस्था केवल इमरजेंसी वार्ड में ड्यूटी कर रहे डॉक्टरों और नर्सों के भरोसे चल रही थी। जब रैंप का ताला बंद और लिफ्ट खराब होने की सूचना डॉक्टरों को मिली, तो उन्होंने तुरंत सिविल सर्जन को जानकारी दी।

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जीविका दीदी की मेहनत बनी चुनौती

सबसे अधिक परेशानी अस्पताल में खाना पहुंचाने वाली जीविका दीदियों को हुई। मरीजों के लिए गर्मागर्म भोजन लेकर वे जब लिफ्ट तक पहुंचीं, तो उन्हें पता चला कि लिफ्ट काम नहीं कर रही है। मजबूरी में उन्होंने भारी-भारी बर्तन हाथ में लेकर तीन मंजिल की सीढ़ियां चढ़ीं। यह दृश्य देखकर आम लोग भी हैरान रह गए।

मरीजों और परिजनों की सुरक्षा पर सवाल

इस पूरी घटना से यह स्पष्ट होता है कि अस्पताल की व्यवस्था कितनी लचर है। मंत्री के जाने के दो दिन बाद ही व्यवस्थाएं चरमरा गईं। क्या यह सब केवल दिखावे के लिए किया गया था? अस्पताल प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। क्या इतने बड़े प्रोजेक्ट का रखरखाव मात्र दो दिन में ही फेल हो जाना लापरवाही का प्रमाण नहीं है?

रैंप का ताला खुला, लेकिन लिफ्ट अब भी खराब

डॉक्टरों की शिकायत के दो घंटे बाद प्रशासन ने रैंप का ताला तो खुलवा दिया, लेकिन लिफ्ट अब तक ठीक नहीं करवाई गई है। मरीजों और उनके परिजनों को अभी भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

प्रशासन की चुप्पी, जनता की नाराज़गी

अस्पताल की यह हालत देखकर स्थानीय लोगों में आक्रोश है। मरीजों के परिजनों ने पूछा कि जब इतनी बड़ी राशि खर्च कर मॉडल अस्पताल बनाया गया, तो उसकी देखरेख का जिम्मा कौन उठाएगा? अभी तक न कोई आधिकारिक बयान आया है और न ही कोई तकनीकी टीम लिफ्ट को सुधारने के लिए पहुंची है।

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