मुंगेर में मुसलमानों ने पहलगाम आतंकी हमले की निंदा की, निकाला आक्रोश मार्च

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बिहार के मुंगेर जिले में मुस्लिम समाज के लोगों ने एक बहुत ही भावनात्मक और गंभीर पहल की। जुमा की नमाज के बाद जामा मस्जिद के बाहर बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग इकट्ठा हुए। इस भीड़ का मकसद सिर्फ इबादत करना नहीं था, बल्कि देश में अमन चैन की दुआ मांगना और पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले में मारे गए निर्दोष पर्यटकों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करना था।

भीड़ में शामिल हर एक व्यक्ति के चेहरे पर दुख और आक्रोश साफ झलक रहा था। सभी ने अपने दिल से ईश्वर से उन लोगों की आत्मा की शांति के लिए दुआ की जो इस बर्बर आतंकी हमले में मारे गए थे। यह दृश्य अपने आप में मिसाल था, जहां मजहब से ऊपर उठकर इंसानियत के लिए आंसू बहाए गए।

जमीयत उलेमा-ए-हिंद की अगुवाई में निकाला गया आक्रोश मार्च

नमाज़ के बाद, जमीयत उलेमा-ए-हिंद, मुंगेर इकाई की ओर से एक आक्रोश मार्च निकाला गया, जिसमें सैकड़ों की संख्या में लोग शामिल हुए। यह मार्च तोपखाना बाजार से शुरू होकर नीलम चौक, मुख्य बाजार होते हुए राजीव गांधी चौक तक पहुँचा। पूरे रास्ते लोगों ने देशभक्ति के नारे लगाए और आतंकवाद के खिलाफ जोरदार आवाज़ उठाई।

मौलाना अब्दुल्लाह बुखारी का सशक्त बयान

इस मार्च का नेतृत्व जमीयत उलेमा-ए-हिंद के मुंगेर इकाई के अध्यक्ष मौलाना अब्दुल्लाह बुखारी ने किया। मौलाना बुखारी ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा, “यह हमला सिर्फ कुछ लोगों पर नहीं, बल्कि पूरी इंसानियत पर हमला है। आतंकवादियों का कोई मजहब नहीं होता। ऐसे दरिंदों को बख्शा नहीं जाना चाहिए। भारत सरकार को चाहिए कि ऐसे लोगों को खोज कर कड़ी से कड़ी सजा दी जाए।”

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उन्होंने अपने बयान में पाकिस्तान को भी कठघरे में खड़ा किया और कहा कि अगर पाकिस्तान हिंदुस्तान की तरफ आंख उठाकर देखेगा, तो हम उसे बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि एक सच्चा मुसलमान कभी भी अपने देश के खिलाफ नहीं जा सकता।

देशभक्ति का जज़्बा: “हमें गर्व है इस मिट्टी पर”

मौलाना ने कहा, “हमें गर्व है कि हम इस मुल्क में पैदा हुए, पले-बढ़े और यहीं मरने का इरादा है। देश की आन, बान और शान के लिए हम कोई भी कुर्बानी देने को तैयार हैं। आतंकियों ने जो कायरता दिखाई है, उसका जवाब बहुत सख्ती से दिया जाना चाहिए।”

शहीदों को दी गई श्रद्धांजलि

मार्च में शामिल लोगों ने पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए निर्दोष नागरिकों को भावभीनी श्रद्धांजलि दी। लोगों ने मोमबत्तियाँ जलाईं, शांति गीत गाए और दो मिनट का मौन रखा। सभी की आंखें नम थीं लेकिन दिलों में आतंक के खिलाफ गुस्सा भरा हुआ था।

भारत सरकार से कठोर कार्रवाई की मांग

जनता ने भारत सरकार से मांग की कि वह आतंकवादियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए और पाकिस्तान के साथ सभी संबंधों को तुरंत समाप्त करे। लोगों ने कहा कि अब समय आ गया है कि भारत सरकार अपनी सेना को आदेश दे कि वे पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों को खत्म करें।

मौलाना बुखारी ने यह भी कहा कि भारत सरकार को चाहिए कि वह आतंकियों की लाशों को किसी भी धार्मिक सम्मान से वंचित करे। ना उनका नमाज-ए-जनाज़ा पढ़ा जाए, ना ही उन्हें दफनाया जाए। उनकी लाशें कुत्तों और चीलों के हवाले कर दी जाएं ताकि भविष्य में कोई और आतंकवादी भारत पर बुरी नजर डालने की हिम्मत ना करे।

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“गोली का जवाब गोली से” की खुली चेतावनी

आक्रोश मार्च में मौजूद सभी लोगों ने एक स्वर में कहा कि अब समय प्यार और मोहब्बत का नहीं है, बल्कि गोली का जवाब गोली से देने का है। पाकिस्तान बार-बार भारत पर हमला करता है और निर्दोष लोगों की जान लेता है। अब उसकी इस हरकत का मुँहतोड़ जवाब देना बेहद जरूरी हो गया है।

उलेमा-ए-कराम से भी की गई अपील

मौलाना ने देश के तमाम उलेमा-ए-कराम से अपील की कि वे ऐसे आतंकियों को इस्लाम से बाहर मानें और उनके किसी भी धार्मिक क्रियाकलाप में शामिल न हों। उन्होंने कहा, “अगर कोई मुस्लिम आतंकी बनता है, तो वह इस्लाम के दायरे से बाहर हो जाता है। उसे ना जनाज़ा मिले, ना दफन की जगह। ऐसे लोगों को इंसान नहीं, हैवान समझा जाए।”

देश में शांति की अपील

आखिर में, सभी लोगों ने देश में शांति और सौहार्द बनाए रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता और हमें मिलकर इसके खिलाफ लड़ना होगा। जब तक भारत में एकता और भाईचारा कायम रहेगा, कोई भी दुश्मन हमारे देश को झुका नहीं सकता।

निष्कर्ष: इंसानियत के लिए एकजुटता का संदेश

मुंगेर में निकला यह आक्रोश मार्च केवल एक विरोध नहीं था, बल्कि यह इंसानियत की पुकार थी। यह एक स्पष्ट संदेश था कि आतंकवाद चाहे किसी भी रूप में आए, उसे हर हाल में जड़ से खत्म किया जाना चाहिए। भारत की जनता अब जाग चुकी है और वह आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर खड़ी है।

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