बिहार के मुंगेर जिले में गंगा नदी पर बने सेतु ने जहां एक ओर यातायात को आसान बना दिया है, वहीं दूसरी ओर उम्मीद के विपरीत पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई राहत नहीं मिली है। बल्कि अब स्थिति यह है कि पास के जिले बेगूसराय की तुलना में मुंगेर में पेट्रोल और डीजल की कीमतें प्रति लीटर लगभग 3 रुपये अधिक वसूली जा रही हैं। यह अंतर तब और भी चौंकाने वाला हो जाता है जब यह ध्यान दिया जाए कि दोनों जिलों के बीच की दूरी मात्र 25 किलोमीटर है।
तेल की कीमतों को लेकर उपभोक्ताओं में असंतोष
इस मूल्य अंतर को लेकर मुंगेर की जनता में भारी आक्रोश देखने को मिल रहा है। आम उपभोक्ताओं का कहना है कि जब अब गंगा सेतु के माध्यम से दूरी कम हो गई है, तो तेल की कीमतों में भी समानता आनी चाहिए थी। इसके विपरीत, कीमतें और अधिक हो गई हैं। लोग मांग कर रहे हैं कि मुंगेर में तेल के दामों का पुनः मूल्यांकन किया जाए ताकि उन्हें अनावश्यक आर्थिक बोझ से राहत मिल सके।
पेट्रोल-डीजल की वर्तमान कीमतों की तुलना
यदि वर्तमान कीमतों पर नजर डालें तो मुंगेर में पेट्रोल की कीमत 109.13 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 95.73 रुपये प्रति लीटर है। दूसरी ओर, सिर्फ 25 किलोमीटर दूर स्थित बेगूसराय में पेट्रोल की कीमत 106.50 रुपये और डीजल की कीमत 93.75 रुपये प्रति लीटर है। यह अंतर स्पष्ट रूप से दिखाता है कि मुंगेर के उपभोक्ता हर लीटर पर अतिरिक्त 2.50 से 3 रुपये अधिक चुका रहे हैं।
ऑयल कंपनियों की भूमिका और रूट मैप का प्रभाव
मुंगेर शहर में तीन प्रमुख तेल कंपनियों—इंडियन ऑयल, हिन्दुस्तान पेट्रोलियम और भारत पेट्रोलियम—के पेट्रोल पंप मौजूद हैं। इन तीनों कंपनियों के पंपों पर भी एक जैसी ही दरें लागू हैं और बेगूसराय की तुलना में लगभग 3 रुपये अधिक कीमत पर पेट्रोल और डीजल बेचा जा रहा है।
जानकारों के अनुसार, तेल कंपनियां पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतें रिफाइनरी से डिलीवरी प्वाइंट तक की दूरी के आधार पर निर्धारित करती हैं, जिसे रूट मैप कहा जाता है। हालांकि, गंगा सेतु के निर्माण के बाद अब रूट छोटा हो गया है, जिससे ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट में कमी आई है। इसके बावजूद भी कीमतों में कोई राहत नहीं दी गई है।
प्रतिदिन एक लाख लीटर तेल की खपत
मुंगेर में प्रतिदिन करीब 1 लाख लीटर पेट्रोल और डीजल की खपत होती है। ऐसे में अगर हर लीटर पर उपभोक्ताओं से 2 से 3 रुपये अधिक वसूला जा रहा है, तो यह राशि लाखों में पहुंच जाती है। यह सीधे-सीधे उपभोक्ताओं की जेब पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ डालता है, जो कि अनुचित प्रतीत होता है।
तेल मूल्य निर्धारण की प्रक्रिया और पारदर्शिता की कमी
तेल की खुदरा कीमतें हर दिन सुबह 6 बजे अपडेट होती हैं। इसमें पेट्रोल पंप मालिक का कमीशन जोड़कर अंतिम खुदरा मूल्य तय किया जाता है। ऐसे में सवाल उठता है कि जब राष्ट्रीय स्तर पर कीमतों को एकसमान तय करने की प्रणाली है, तो फिर इतने कम फासले पर ही इतनी बड़ी कीमतों में अंतर क्यों है? यह स्थिति पारदर्शिता की कमी और मूल्य निर्धारण में गड़बड़ी की ओर इशारा करती है।
जनता की मांग और प्रशासन से अपील
मुंगेर मंच और स्थानीय नागरिकों ने तीनों प्रमुख तेल कंपनियों के महाप्रबंधकों से यह मांग की है कि इस मूल्य अंतर को तुरंत समाप्त किया जाए और मुंगेर के लोगों को बेगूसराय जैसी दरों पर ही पेट्रोल और डीजल उपलब्ध कराया जाए। इसके साथ ही उन्होंने यह भी अनुरोध किया है कि अब तक उपभोक्ताओं से अतिरिक्त वसूली गई राशि की जांच हो और यदि संभव हो तो उसकी प्रतिपूर्ति की जाए।
निष्कर्ष: समानता की उम्मीद और न्याय की मांग
मुंगेर में गंगा सेतु के बनने से जहाँ भौगोलिक दूरी कम हुई है, वहीं आर्थिक बोझ में अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी ने आम जनता को परेशान कर दिया है। यह आवश्यक है कि प्रशासन और तेल कंपनियां इस विषय को गंभीरता से लें और मूल्य निर्धारण में पारदर्शिता लाकर आम जनता को राहत प्रदान करें। स्थानीय नागरिकों को भी संगठित होकर इस मुद्दे पर आवाज उठानी चाहिए ताकि आने वाले समय में उन्हें उचित मूल्य पर ईंधन मिल सके।