बिहार के मुंगेर ज़िले के कल्याणपुर बड़ी दुर्गा महारानी मंदिर में इस बार छोटी दीपावली पर आस्था और संस्कृति का अद्भुत संगम देखने को मिला। यहां भव्य दीपोत्सव का आयोजन किया गया, जिसमें 11 लाख दीपों की रोशनी से एक किलोमीटर क्षेत्र जगमगा उठा। पिछले पाँच वर्षों से यह आयोजन बिहार की सबसे भव्य दीपावली के रूप में पहचान बना चुका है। और यहां पहली बार ड्रोन शो का भी आयोजन किया गया, इस ड्रोन शो में श्री राम और मां दुर्गे की आकृतियां दिखाई गई। जिससे पूरा वातावरण भक्ति में हो गया।
11 लाख दीपों से जगमगाया पूरा कल्याणपुर
दरअसल मुंगेर जिले के बरियारपुर प्रखंड स्थित कल्याणपुर बड़ी दुर्गा महारानी मंदिर परिसर में दीपोत्सव का नज़ारा इस बार सचमुच अद्भुत रहा। छोटी दीपावली की रात को जैसे ही दीपों की कतारें जलीं, पूरा क्षेत्र प्रकाशमय हो उठा। दीपउत्सव से पहले बाहर से आए महान पंडितों के द्वारा गंगा महाआरती का भव्य आयोजन किया गया। जिसके बाद एक साथ 11 लाख दिए जलाए गए। यूथ क्लब की ओर से आयोजित इस दीपोत्सव में हर वर्ष दीपों की संख्या बढ़ती रही है। पहली बार वर्ष 2020 में 1 लाख 75 हज़ार दिए जलाए गए थे। जिसके बाद 2021 में 5 लाख, 2022 में 6 लाख, 2023 में 7 लाख 50 हज़ार 2024 में 8 लाख दिए जलाए गए थे। और इस साल 11 लाख दीप जलाए गए है। मां दुर्गा की आराधना के इस आयोजन में “एक दीप मां के नाम” थीम रखी गई थी। मंदिर परिसर से लेकर गंगा तट तक दीपों की पंक्तियाँ जैसे मातृशक्ति के आशीर्वाद की ज्योति फैला रही थीं। दीपों में घी और तिल के तेल का प्रयोग किया गया, जिससे वातावरण में पवित्र सुगंध फैली।
पहली बार हुआ ड्रोन शो जिससे आसमान में उभरे श्री राम और मां दुर्गा
इस भव्यता को और आकर्षक बनाने के लिए पहली बार ड्रोन शो का भी आयोजन किया गया। जिसमे लगभग 250 ड्रोन के ज़रिए आसमान में मां दुर्गा और श्री राम की झांकी और महाभारत के दृश्य बनाए गए। इस दृश्य को देखकर हजारों श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो गए। स्थानीय लोगों का कहना है कि “इस तरह की दिवाली बनारस के घाटों पर देखी जाती है, लेकिन मुंगेर के छोटे से गांव में इतना भव्य आयोजन बिहार के लिए गर्व की बात है। आयोजकों ने कहा कि भारतीय संस्कृति में दीप केवल रोशनी का प्रतीक नहीं है। बल्कि अंधकार पर ज्ञान, अधर्म पर धर्म और निराशा पर आशा की विजय का प्रतीक है।
मुंगेर के इस दीपोत्सव ने यह संदेश एक बार फिर जीवंत कर दिया कि जब सामूहिक आस्था और संस्कृति मिलती है, तो छोटे से गाँव में भी भारत की आत्मा चमक उठती है।
