मुंगेर का गर्म जल का कुंड ऋषि कुंड, सैलानियों की उमड़ने लगी भीड़

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मुंगेर में प्राकृतिक वादियों और पहाड़ों की तराई में बसा गर्म जल का कुंड ऋषि कुंड में स्नान करने पहुंचने लगे सैलानी। यहां पहाड़ की तराई से निकलने वाले गर्म जल से न सिर्फ लोग स्नान करते हैं, बल्कि खुद को स्वस्थ रखने के लिए भी गर्म जल का सेवन करते हैं। ऐसी मान्यता है कि गर्म जल में स्नान करने व उसके सेवन से पेट रोग, चर्म रोग आदि से लोगों को मुक्ति मिलती है। आइए जानते है पूरी कहानी को।

दरअसल मुंगेर जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर पहाड़ की तराई में बसा ऋषि कुंड के गर्म पानी में स्नान करने के साथ-साथ पिकनिक मनाने को लेकर सैलानी पहुंचने लगे हैं। पहाड़ की तराई से निकले गर्म पानी में स्नान करने के लिए ठंड शुरू होते ही यहां सैलानियों की भीड़ जुटने लगती है। लोग अपने परिवार के साथ आते हैं और गर्म पानी का लुफ्त उठाते हुए स्नान करने के साथ-साथ पिकनिक का आनंद भी उठाते हैं।

बता दें कि सर्द मौसम में मुंगेर जिला अंतर्गत हवेली खड़गपुर प्रखंड क्षेत्र के ऋषि कुंड में स्नान करने को लेकर मुंगेर के अलावे बिहार के विभिन्न जिले से लोग पहुंचते हैं। इसके अलावा अन्य राज्यों के लोग जो मुंगेर अपने रिश्तेदार से मिलने पहुंचते है वे भी स्थानीय लोगों के साथ ऋषि कुंड के गर्म पानी में स्नान करने के साथ-साथ इन पर्यटन स्थल का दर्शन करते है। ऋषि कुंड में स्नान करने को लेकर दिसंबर से लेकर फरवरी तक यहां काफी संख्या में लोगों की भीड़ जुटती है।

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वही पहाड़ की तराई से निकलने वाले गर्म जल से न सिर्फ लोग स्नान करते हैं, बल्कि खुद को स्वस्थ रखने के लिए भी गर्म जल का सेवन करते हैं। गर्म जल में स्नान करने व उसके सेवन से पेट रोग, चर्म रोग आदि से लोगों को मुक्ति मिलती है। वहीं यहां स्नान करने आई महिलाओं ने बताया कि यहां पर महिलाओं के लिए कोई खास सुविधा नहीं है। और ना तो महिलाओं के लिए चेंजिंग रूम और ना ही वॉशरूम है। जिसके कारण महिलाओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

जबकि यहां ठंड के मौसम में खासकर भारी संख्या में लोग पहुंचते हैं। इसके बावजूद भी प्रशासनिक स्तर पर यहां किसी प्रकार की कोई व्यवस्था नहीं की जाती है। स्थानीय लोगों के मुताबिक इस ऋषि कुंड की यह मान्यता है कि यहां राजा दशरथ अपने चारों पुत्र राम लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न का मुंडन संस्कार किए थे। यह ऋषि मुनि का तपोभूमि भी है। जिस कारण यहां पर लोग मुंडन संस्कार करने के लिए आते हैं।इसके अलावा यहां पर तीन वर्ष में मलमास मेला लगता है। जो काफी भव्य होता है।

वही यहां के पहाड़ों में हरियाली की छठा बिखेरती ऋषि कुंड अपने गर्भ में रामायण काल की धर्म गाथा समेटे हुए हैं। तपो स्थल के रूप में मशहूर होने के साथ-साथ पर्यटकों को खूब आकर्षित करता है यही कारण है कि ऋषि महात्मा से लेकर हर उम्र के लोग यहां आते हैं ऐसी मान्यता है । खास कर ठंड के मौसम में यहां सैलानियों का आना बदस्तूर चालू रहता है।

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जानकारों के अनुसार यहां के गर्म जल में स्नान करने से कई तरह की रोग दूर होती है पहाड़ की तराई से निकलने वाला गर्म जल पीने के भी काम होती है। लोग अपने परिवार दोस्तों के साथ ठंड के मौसम में यहां पहुंचते हैं और गर्म पानी का लुफ्त उठाते हैं। नए साल के मौके पर भी यहां मुंगेर से ही नहीं बल्कि मुंगेर के आस पास के जिलों के भी लोग यहां गर्म पानी में स्नान करने पहुंचते है।साथ ही अब इस ऋषिकुंड को नया पहचान मिलने वाला है राज्य सरकार के द्वारा इसे पर्यटक केंद्र के रूप में विकसित करने को ले कार्य योजना को धरातल में उतारने की तैयारी चल रही है।

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